N1Live National दिल्ली और पश्चिम बंगाल की सरकार बुजुर्गों के स्वास्थ्य संग खिलवाड़ कर रही है: तरुण चुघ
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दिल्ली और पश्चिम बंगाल की सरकार बुजुर्गों के स्वास्थ्य संग खिलवाड़ कर रही है: तरुण चुघ

Governments of Delhi and West Bengal are playing with the health of the elderly: Tarun Chugh

नई दिल्ली, 30 अक्टूबर । भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने आयुष्मान योजना की खूबियां गिनाते हुए विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद करार दिया। आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी राय रखी।

दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री और आम आदमी पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज ने आयुष्मान योजना से बेहतर आप सरकार की स्वास्थ्य योजना को बताया था। इस पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा, दिल्ली और बंगाल के लोगों को आयुष्मान भारत के लाभ से वंचित रखा गया है। जो दल और नेता गरीबों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, उनके बयानों से मानसिक दिवालियापन की स्थिति झलकती है।

उन्होंने कहा, 12,850 करोड़ की आयुष्मान भारत की नई योजना बेहतरीन है। जिसके अंतर्गत 70 साल से अधिक किसी भी वर्ग के किसी भी जाति के, किसी भी धर्म के बुजुर्ग को 5 लाख का टॉप अप कवर दिया गया है। इससे पहले भी आयुष्मान भारत के माध्यम से लगभग 40 करोड़ भारतीयों को 5 लाख का मेडिकल कवर का लाभ मिला है। इसके उपयोग से करोड़ों भारतीयों ने अपनी गंभीर बीमारियों का इलाज निशुल्क कराया है और बीमारियों से छुटकारा पाया है। यह आम आदमी पार्टी और टीएमसी की बीमार मानसिकता का परिचय है कि वह इस योजना का विरोध कर रहे हैं।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला के पाकिस्तान के खिलाफ दिए बयान पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा, देर आए दुरुस्त आए। भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दशकों से मानना है कि पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री है। आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकती है। आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ चलना चाहिए। भारत की सुरक्षा- एकता- अखंडता और आंतरिक सुरक्षा या शांति किसी भी देश की कृपा पर निर्भर नहीं है। भारत अपनी रक्षा करना जानता है और आज यह नया भारत है नरेंद्र मोदी की भारत है छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं। यह वो भारत है।

हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के आरोपों को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया है। इस पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा, जब कांग्रेस हारती है तो ईवीएम और चुनाव आयोग को दोष देती है, लेकिन जब वे कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल जैसे राज्यों में जीतते हैं तो ईवीएम कोई मुद्दा नहीं रह जाता।

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