आप सरकार पंजाब पंचायत चुनाव नियम, 1994 में संशोधन करने जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी व्यक्ति पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ सके।
उच्च पदस्थ सूत्रों ने ट्रिब्यून को बताया कि इन नियमों की धारा 12 में संशोधन को ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग द्वारा मंजूरी दे दी गई है तथा अब इसे अंतिम मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
हाल ही में विभाग के अधिकारियों, राज्य चुनाव आयोग और महाधिवक्ता कार्यालय के प्रतिनिधियों के बीच इस संशोधन को लाने पर चर्चा हुई थी।
कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद संशोधित नियम सितंबर के शुरू में विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किए जाएंगे।
सरकार गुटबाजी को खत्म करना चाहती है, जो गांवों में समान रूप से किए जा रहे विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न करती है।
हालांकि पंजाब में पंचायत चुनाव पार्टी चिन्ह पर नहीं लड़े जाते, लेकिन उम्मीदवार राज्य चुनाव आयोग को बता सकते हैं कि वे किसी विशेष राजनीतिक दल से जुड़े हैं और उन्हें पार्टी चिन्ह आवंटित किया जाना चाहिए।
13,241 पंचायतों के चुनावों की घोषणा किसी भी समय होने की उम्मीद है।
सरकार के सूत्रों ने संकेत दिया कि ये चुनाव सितंबर के अंत से पहले हो सकते हैं, जो डेरा बाबा नानक, चब्बेवाल, बरनाला और गिद्दड़बाहा के चार विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव के साथ ही होने हैं। इन निर्वाचन क्षेत्रों के विधायकों के जून में लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद उपचुनाव की आवश्यकता हुई है। सूत्रों ने कहा कि सरकार पंचों के सीधे चुनाव पर विचार कर रही है, जिसमें वोटों के मामले में शीर्ष पांच उम्मीदवार चुने जाएंगे। हालांकि, सीटों के आरक्षण को लागू करने सहित एक कानूनी खामी है।
2008 में चुनाव अप्रत्यक्ष थे (निर्वाचित पंचों ने सरपंच का चुनाव किया), लेकिन उसके बाद के दो पंचायत चुनावों में सरपंचों का चुनाव मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया गया।
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