गुजरात और महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इससे मिट्टी समृद्ध होती है, जबकि रसायन आधारित कृषि से भूमि क्षरण होता है।
वह मंगलवार को रोहतक जिला बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित “प्रकृति और कानून” विषय पर एक विशेष व्याख्यान में बोल रहे थे, जिसमें कानून, शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्रों से प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल हुईं।
राज्यपाल ने पारिस्थितिकी और न्याय के बीच गहरे अंतर्संबंध पर भी प्रकाश डाला तथा इस बात पर बल दिया कि किस प्रकार नैतिक मूल्य, प्राकृतिक संतुलन और कानूनी प्रणालियां मूलतः एक दूसरे के पूरक हैं।
पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल के पूर्व दो बार अध्यक्ष रहे डॉ. विजेन्द्र सिंह अहलावत ने रोहतक बार एसोसिएशन के इतिहास और विरासत का एक जानकारीपूर्ण अवलोकन प्रस्तुत किया, जिसमें न्याय प्रणाली के विकास में इसकी भूमिका और सामाजिक समता में इसके योगदान पर प्रकाश डाला गया।
इससे पहले, कार्यक्रम की शुरुआत बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक हुड्डा के स्वागत भाषण से हुई, जिन्होंने वर्तमान संदर्भ में चुने गए विषय की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उनके संबोधन ने पर्यावरणीय स्थिरता और कानूनी ढाँचों के बीच संबंधों पर गहन चिंतन का आधार तैयार किया।
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