राजकोट, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार महात्मा गांधी के आदर्शो का सम्मान करते हुए स्वदेशी अर्थनीति को लागू कर रही है। नरेंद्र मोदी ने राजकोट जिले के अटकोट में 40 करोड़ रुपये की लागत से बने 200 बिस्तर के सुपरस्पेशिएलिटी के.डी. परवदिया अस्पताल का शुभारंभ करने के अवसर पर गुजराती भाषा में अपना संबोधन दिया। भाजपा की गुजरात इकाई के अध्यक्ष एवं पाटीदार नेता भारत बोघरा और उनके परिवार ने इस अस्पताल की स्थापना की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार महात्मा गांधी के आदर्शो का पालन करती है और इसी कारण स्वदेशी अर्थनीति लागू की गई है। उन्होंने कहा कि गांधी और सरदार वल्लभ भाई पटेल हमेशा गरीबों के उत्थान के लिए चिंतित रहते थे और उनकी सरकार भी इसी के लिए काम करती है।
नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कराये गये कार्यो का उल्लेख करते हुए कहा कि 2001 से पहले गुजरात ने विकास और प्रगति नहीं देखी थी। उन्होंने कहा कि उनकी पहलों के कारण गुजरात अब शिक्षा, उद्योग और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में विकसित है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2001 से पहले गुजरात में बस नौ मेडिकल कॉलेज थे और मेडिकल सीटें 1,100 थीं लेकिन 21 साल में राज्य में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है और सीटें भी बढ़कर आठ हजार हो गई हैं। सरकार का लक्ष्य हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का है ताकि कोई भी गरीब घर का बच्चा , जो डॉक्टर बनना चाहता हो, वह सीट की कमी के कारण निराश न हो।
उन्होंने गुजरात की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार का नाम लिए बगैर कहा कि पहले औद्योगिक विकास बस वापी और वडोदरा तक सीमित था और दवा क्षेत्र भी एक या दो जिलों तक सीमित था। पूर्व की सरकारों ने कभी भी कारोबार, व्यापार और उद्योगों को विस्तृत करने पर ध्यान नहंी दिया लेकिन उनकी सरकार ने ऐसा किया।उन्होंने आरोप लगाया कि वह जब राज्य के मुख्यमंत्री थे, तब केंद्र की कांग्रेस नीत गठबंधन सरकार ने गुजरात की परियोजनाओं को मंजूरी नहीं दी थी और कांग्रेस गुजरात विरोधी थी।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान तीन करोड़ गरीब परिवारों को पक्का घर दिया गया, 10 करोड़ लोगों के लिए शौचालय बनवाये गये, नौ करोड़ महिलाओं को गैस सिलेंडर दिया गया और ढाई करोड़ घरों में बिजली पहुंचाई गई।प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को मुफ्त में राशन दिया गया ताकि वे सम्मानजनक तरीके से रह सकें।