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गुजरात, तीन अन्य राज्यों ने भीड़ हिंसा और लिंचिंग की रोकथाम के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त नहीं किए: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

Gujarat, three other states did not appoint nodal officers to prevent mob violence and lynching: Center tells Supreme Court

नई दिल्ली, 29 नवंबर । केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि चार राज्यों गुजरात, केरल, नागालैंड और तमिलनाडु ने भीड़ की हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार नोडल अधिकारी नियुक्त नहीं किए हैं।

केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के.एम. नटराज ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एस.वी.एन. भट्टी की पीठ को बताया कि उपरोक्त चार राज्यों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा संबोधित पत्र का जवाब नहीं दिया।

नटराज ने कहा, “हमें यह स्पष्ट नहीं है कि इन राज्यों ने नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं या नहीं। हालाँकि, उन्होंने हमारे पत्र का जवाब नहीं दिया है।”

इस पर बेंच ने कहा, ‘हम इन राज्यों के स्थायी वकीलों को नोटिस जारी करेंगे और उनसे एक रिपोर्ट पेश करने को कहेंगे कि क्या नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।’

इसके अलावा, एएसजी नटराज ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि केंद्रीय गृह सचिव ने शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार 11 अक्टूबर को सभी राज्य सरकारों के विभागों के प्रमुखों की एक बैठक बुलाई थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई अगले साल फरवरी में की जायेगी।

पहले की सुनवाई में, याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा था कि वह यह देखकर “आश्चर्यचकित” थे कि विभिन्न राज्य सरकारों की वेबसाइटों में नोडल अधिकारियों से संबंधित विवरण नहीं थे।

गोंसाल्वेस ने राज्य सरकारों को अपनी वेबसाइट पर सभी डेटा अपलोड करने का निर्देश देने की मांग की थी ताकि इसे आम जनता के लिए सुलभ बनाया जा सके।

इस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने गृह मंत्रालय को संबंधित राज्य सरकारों से जानकारी हासिल करने के बाद नोडल अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था।

तहसीन एस. पूनावाला मामले में अपने 2018 के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के उपाय करने के लिए प्रत्येक जिले में नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया था।

इसमें आदेश दिया गया था, “संबंधित राज्यों के पुलिस महानिदेशक/गृह विभाग के सचिव सभी नोडल अधिकारियों और राज्य पुलिस खुफिया प्रमुखों के साथ नियमित समीक्षा बैठकें (कम से कम तिमाही ) लेंगे।”

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