सामाजिक कार्यकर्ता सविता आर्य द्वारा दायर आरटीआई के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष पानीपत में दर्ज बलात्कार के लगभग 50 प्रतिशत मामले फर्जी पाए गए हैं। विवरण के अनुसार, पिछले नौ महीनों में दर्ज बलात्कार के 84 मामलों में से 42 को पुलिस की गहन जाँच के बाद रद्द कर दिया गया। इसी तरह, पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज 121 मामलों में से 22 और छेड़छाड़ के 40 मामलों में से 15 झूठे पाए गए।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ऐसी कई शिकायतें व्यक्तिगत दुश्मनी, बदले या अन्य विवादों के कारण की गई थीं। सामाजिक कार्यकर्ता सविता आर्य ने कहा, “कुछ मामले महिलाओं ने बदला लेने या निजी लाभ के लिए दर्ज कराए हैं, जो बिल्कुल गलत है। बलात्कार, छेड़छाड़ या पॉक्सो जैसी गंभीर धाराओं के तहत झूठे आरोप लगाए जाने पर व्यक्ति समाज में बुरी तरह टूट जाता है—ऐसे आरोपों के साथ जीना उसके लिए मुश्किल हो जाता है।”
आर्या ने बताया कि उन्होंने पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह को पत्र लिखकर फर्जी शिकायतें दर्ज कराने वाली महिलाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने आगे कहा, “कानून का दुरुपयोग करने वाली ऐसी महिलाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।”
एसपी भूपेंद्र सिंह ने पुष्टि की कि सभी शिकायतें शुरू में दर्ज की जाती हैं, लेकिन पूरी जाँच के बाद ही फर्जी मामलों को रद्द किया जाता है। उन्होंने कहा, “असली शिकायतों में आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है। मैंने सभी रद्द मामलों की विस्तृत जाँच के निर्देश दिए हैं। अगर किसी ने कानून का दुरुपयोग किया पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।”


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