हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा है कि किसानों की सेवा को प्राथमिकता देते हुए मंडियों को उत्कृष्टता के आदर्शों में परिवर्तित किया जाना चाहिए, ताकि इसे पूरे देश में अपनाया जा सके। उन्होंने बाजार शुल्क की वसूली में ईमानदारी और पारदर्शिता की आवश्यकता पर बल दिया और किसानों के बीच विश्वास मजबूत करने की बात कही। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य मंडियों को एक आधुनिक, पारदर्शी और किसान-हितैषी बाजार प्रणाली में विकसित करना है।
मुख्यमंत्री आज यहां मार्केटिंग बोर्ड के नवनियुक्त पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। सैनी ने कहा कि मंडी व्यवस्था किसानों को उचित मूल्य दिलाने और उनकी आय की रक्षा करने का सबसे प्रभावी तंत्र है। उन्होंने आगे कहा कि किसानों को सशक्त बनाने से हरियाणा और भी मजबूत होकर उभरेगा।
उन्होंने आगे कहा कि बाजार समितियां केवल सरकारी कार्यालय नहीं हैं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण शक्ति केंद्र हैं। इसलिए, इनका कुशल प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, किसानों और व्यापारियों के बीच विश्वास को मजबूत करना भी अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य मंडियों में ऐसी व्यवस्था बनाना है जहां किसानों को अपनी उपज लाते ही सटीक माप, उचित मूल्य और समय पर भुगतान मिले, और व्यापारियों को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद और व्यापार के लिए बेहतर वातावरण प्राप्त हो।
सैनी ने पिछले कुछ वर्षों में बाजार समितियों द्वारा डिजिटल सुधारों को अपनाने में हुई प्रगति की सराहना की। उन्होंने ई-प्रोक्योरमेंट और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के सफल कार्यान्वयन का उल्लेख किया, जिससे फसलों के लिए भुगतान समय पर सीधे किसानों के खातों में जमा हो जाता है। बिचौलियों की भूमिका समाप्त होने से किसानों को अब उनकी मेहनत का पूरा मूल्य मिल रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पारदर्शिता बढ़ाने के लिए प्रवेश पास जारी करने से लेकर बाजार शुल्क वसूलने तक की हर प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल बनाया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि सभी 24 फसलों की खरीद एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर की जा रही है। अब तक लगभग 12 लाख किसानों के खातों में 1.64 लाख करोड़ रुपये जमा किए जा चुके हैं। उन्होंने आगे बताया कि 2024 के खरीफ सीजन से किसानों को गेट पास जारी होने के 48 घंटों के भीतर डीबीटी के माध्यम से भुगतान मिल रहा है।


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