पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा कालका उप-मंडल में न्यायिक परिसर और न्यायिक अधिकारियों के लिए आवासीय भवनों के निर्माण के लिए समय-सीमा मांगे जाने के लगभग एक पखवाड़े बाद, हरियाणा सरकार ने आश्वासन दिया है कि चालू बजट सत्र में 43 करोड़ रुपये का अपेक्षित बजट स्वीकृत कर दिया जाएगा।
इस आश्वासन पर गौर करते हुए उच्च न्यायालय ने अब निर्देश दिया है कि उचित विभाग के माध्यम से कार्यवाही में केंद्र सरकार को भी पक्ष बनाया जाए, क्योंकि न्यायालय कक्षों और न्यायिक अधिकारियों के आवासों के निर्माण के लिए 60 प्रतिशत धनराशि केंद्र से और 40 प्रतिशत राज्य से आती है।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमित गोयल की खंडपीठ ने यह निर्देश विजय बंसल द्वारा हरियाणा राज्य और अन्य के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिए। पिछली सुनवाई में खंडपीठ ने पाया था कि परियोजना के लिए निर्धारित भूमि के संबंध में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) और राज्य सरकार के बीच “संचार अंतराल” और “गंभीर विवाद” उत्पन्न हो गया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि वह निर्माण को रोकने के लिए नौकरशाही बाधाओं को और अधिक अनुमति नहीं देगा।
पीठ ने कहा, “यह अदालत कार्यकारी अधिकारियों की ओर से कालका उप-मंडल, जिला पंचकूला में न्यायिक परिसर और न्यायिक अधिकारियों के लिए आवासीय भवनों के निर्माण की प्रक्रिया में देरी करने की किसी भी तरह की अनुमति नहीं देगी।”