राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने शुक्रवार को राजभवन में पश्चिम बंगाल स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में राज्य के लोगों से बातचीत करते हुए राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत की सराहना की।
दत्तात्रेय ने कहा, “पश्चिम बंगाल में बौद्धिक और कलात्मक विरासत बहुत समृद्ध है। यह 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में बंगाल पुनर्जागरण का उद्गम स्थल था, जिसने रवींद्रनाथ टैगोर, राम कृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सत्यजीत रे और श्री अरबिंदो जैसे दिग्गजों को जन्म दिया।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम की सराहना करते हुए दत्तात्रेय ने राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने तथा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सांस्कृतिक मूल्य प्रणाली के साथ घनिष्ठता स्थापित करके ‘विविधता में एकता’ के ताने-बाने को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
दत्तात्रेय ने हरियाणा और चंडीगढ़ के विकास में योगदान के लिए बंगालियों की प्रशंसा की तथा उनसे उनकी सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और बनाए रखने में मदद करने का वादा किया।
चंडीगढ़ के बंगाल बौद्ध संघ के अध्यक्ष रोनिल बरुआ ने कहा कि समुदाय के सदस्य चंडीगढ़ में बसने से बेहद खुश हैं। बरुआ ने कहा, “हम विभाजन के बाद बांग्लादेश से यहां आए और यहीं बस गए। हम चंडीगढ़ और इस क्षेत्र के लोगों के आभारी हैं जिन्होंने हमें प्यार, देखभाल और करुणा के साथ अपनाया।”
नंदिता बरुआ ने कहा कि बंगाली लोग इस क्षेत्र के सांस्कृतिक परिवेश में एकीकृत महसूस करते हैं।