हरियाणा और पंजाब में चावल मिल मालिकों की हड़ताल के बावजूद, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग, हरियाणा द्वारा सुचारू और परेशानी मुक्त धान खरीद सुनिश्चित करने के लिए किए गए पुख्ता प्रबंधों के सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं और इसलिए विभाग ने पंजाब की तुलना में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 12 गुना अधिक धान खरीद कर किसानों को महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है।
ऑनलाइन गेट पास सिस्टम से किसानों के लिए अपनी फसल बेचना काफी आसान हो गया है। हरियाणा में अब तक 1,18,763 मीट्रिक टन धान की खरीद हो चुकी है, जबकि पंजाब में अभी तक केवल 9433 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई है।
इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि विभिन्न सरकारी एजेंसियां मंडियों में धान की खरीद कर रही हैं। धान खरीद प्रक्रिया 15 नवंबर 2024 तक जारी रहेगी। सरकार केंद्र द्वारा निर्धारित एमएसपी पर धान की खरीद कर रही है।
सामान्य धान के लिए एमएसपी 2,300 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि ग्रेड-ए धान के लिए एमएसपी 2,320 रुपये प्रति क्विंटल है। राज्य में 241 मंडियों और खरीद केंद्रों पर धान की खरीद की जा रही है। विभाग की ओर से 17 प्रतिशत तक नमी वाले धान की ही खरीद करने के निर्देश दिए गए हैं। सभी मंडियों में पर्याप्त जूट की बोरियां (बारदाना) उपलब्ध हैं और फसल की सफाई व अन्य गतिविधियों के लिए आवश्यक उपकरण भी सुनिश्चित किए गए हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि धान के अलावा अन्य खरीफ फसलों की भी एमएसपी पर खरीद की जा रही है। राज्य में एमएसपी पर बाजरा की खरीद 1 अक्टूबर से जारी है, जिसकी खरीद 91 मंडियों और खरीद केंद्रों पर की जा रही है।
प्रवक्ता ने बताया कि किसानों से अपील की गई है कि वे अपनी फसल को अच्छी तरह से साफ करके और सुखाकर मंडी में लाएं, ताकि खरीद के दौरान किसी भी तरह की समस्या न आए। धान में नमी की मात्रा 17 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
4 अक्टूबर तक राज्य की मंडियों में कुल 4,37,775 मीट्रिक टन धान की आवक हो चुकी है, जिसमें से सरकारी एजेंसियों ने 1,18,763 मीट्रिक टन की खरीद की है तथा 18,577 मीट्रिक टन धान का उठान भी हो चुका है।
प्रवक्ता ने बताया कि किसानों को उनकी खरीदी गई फसलों का समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा रहा है और 15,000 से अधिक किसानों के बैंक खातों में 12.85 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे हस्तांतरित की गई है। उठाये गये धान को गोदामों, प्लिंथों और अन्य निर्धारित स्थानों पर भंडारित किया जा रहा है।