अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गर्गज ने रविवार को हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की मौत पर चिंता व्यक्त की, जिन्होंने कथित तौर पर अपने कार्यस्थल पर जाति आधारित भेदभाव के कारण आत्महत्या कर ली थी।
2001 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी कुमार (52) ने सात अक्टूबर को यहां अपने आवास पर कथित तौर पर खुद को गोली मार ली थी।
कुमार द्वारा कथित तौर पर छोड़े गए आठ-पृष्ठ के ‘अंतिम नोट’ में, उन्होंने हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और अब स्थानांतरित रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया सहित आठ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों पर “जाति-आधारित भेदभाव, लक्षित मानसिक उत्पीड़न, सार्वजनिक अपमान और अत्याचार” का आरोप लगाया।
रविवार को जारी एक बयान में गर्गज ने कहा कि सिखों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ जातिवाद और किसी भी प्रकार के भेदभाव के खिलाफ दृढ़ता से खड़ी है। उन्होंने कहा कि यह दुखद घटना भारत में आज भी व्याप्त सदियों पुराने जाति-आधारित पूर्वाग्रह का स्पष्ट प्रतिबिंब है, जिसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सभी समुदायों को समान अधिकारों की संवैधानिक गारंटी के बावजूद, कई लोगों को भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज में जातिवादी मानसिकता को बदलने की तत्काल आवश्यकता है।
अकाल तख्त के जत्थेदार ने इस बात पर जोर दिया कि सिख गुरुओं के दर्शन के अनुसार सभी मनुष्य समान हैं, इसलिए यह बेहद चिंताजनक है कि इस युग में भी जाति-आधारित पूर्वाग्रह अभी भी सामने आ रहे हैं।
गर्गज ने कहा, “विश्वव्यापी भाईचारे का संदेश फैलाने वाले सिख गुरुओं की भूमि होने के नाते, पंजाब उनकी शिक्षाओं को कायम रखता है, जिससे भारत के अन्य हिस्सों की तुलना में जाति-आधारित विभाजन में काफी कमी आई है।”
उन्होंने कहा, ‘‘अमृतसर में हरमंदर साहिब और उसका पवित्र ‘सरोवर’ इसका जीवंत उदाहरण है – जहां दुनिया के किसी भी हिस्से से कोई भी व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के श्री गुरु रामदास जी के दर्शन कर सकता है, पवित्र स्नान कर सकता है और उनके लंगर में शामिल हो सकता है।’’