रोहतक-आईआईएम निदेशक डॉ. धीरज शर्मा द्वारा उनके खिलाफ जांच करने और उन्हें लंबी छुट्टी पर भेजने के आदेश को रद्द करने के लिए दायर याचिका पर कार्रवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने गुरुवार को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की निर्धारित बैठक को आगे बढ़ने की अनुमति दे दी। साथ ही पीठ ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि लिया गया कोई भी निर्णय अगली सुनवाई तक स्थगित रखा जाएगा।
न्यायमूर्ति विनोद एस भारद्वाज ने यह निर्देश तब दिया जब याचिका पर बहस पूरी नहीं हो सकी। पीठ के समक्ष उपस्थित हुए भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन ने केंद्र सरकार की वकील श्रेयांसी वर्मा के साथ बहस पूरी करने के लिए और समय मांगा। उन्होंने पीठ को बताया कि वे “पूर्ण पीठ” की सुनवाई में व्यस्त हैं। उन्हें पूर्ण न्यायालय संदर्भ के लिए भी उपस्थित होना था।
न्यायमूर्ति भारद्वाज ने मामले की अगली सुनवाई दो अप्रैल तय करते हुए कहा, “इस तर्क को देखते हुए और यह भी ध्यान में रखते हुए कि बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक आज दोपहर डेढ़ बजे होनी है, बैठक होने दी जाए, तथापि, यदि कोई निर्णय लिया गया हो तो उसे अगली सुनवाई तक स्थगित रखा जाए।”
याचिकाकर्ता ने वरिष्ठ अधिवक्ता चेतन मित्तल और वकील विवेक सिंगला के माध्यम से तर्क दिया कि प्रतिवादियों ने 5 मार्च को आपत्तिजनक आदेश पारित किया, “जिसमें वित्तीय अनियमितताओं और पहले सत्र के लिए स्नातक की डिग्री न देने के कारण जांच का आदेश दिया गया है”
उन्होंने तर्क दिया कि बर्खास्त कर्मचारियों द्वारा की गई शिकायतों से यह कार्रवाई की गई, जिसकी जांच 2023 में CAG द्वारा की गई और इसे बंद कर दिया गया। आदेश अधिकार क्षेत्र से बाहर थे। संबंधित मंत्रालय ने भारतीय प्रबंधन संस्थान अधिनियम की धारा 10A के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच का आदेश दिया। इसे 16 अगस्त, 2023 से प्रभावी रूप से शामिल और लागू किया गया, जबकि जांच का आदेश पहले की अवधि के लिए दिया गया था। इसमें कहा गया, “स्थापित कानून यह है कि संशोधन प्रकृति में भावी होता है जब तक कि इसे विशेष रूप से पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया जाता है।”