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ज्ञानवापी मामले में तहखाने की मरम्मत पर वाराणसी जिला कोर्ट में सुनवाई आज

Hearing today in Varanasi District Court on repair of basement in Gyanvapi case.

वाराणसी, 3 अगस्त वाराणसी जिला जज आज ज्ञानवापी मामले की सुनवाई करेगें। सुनवाई परिसर स्थित तहखाना में मरम्मत, शेष बचे तहखानों में सर्वे की मांग को लेकर होगी। यह सुनवाई दोपहर 2 बजे के बाद जिला जज की कोर्ट में होगी।

जिला जज इस मामले में 8 मुकदमों में से तीन मुकदमे जिला जज की अदालत से निचली कोर्ट में भी भेजने का आदेश दे सकते हैं।

वाराणसी के रहने वाले शिशिर कुमार सिंह कहते हैं कि जो भी हमारी धरोहर है उसकी मरम्मत होनी चाहिए ताकि वह सुरक्षित रहे। दोनों पक्षों की धार्मिक भावना का सम्मान करते हुए कोर्ट जो भी डिसाइड करेगा हम उसका सम्मान करेंगे।

बता दें, इससे पहले वाराणसी की जिला अदालत द्वारा व्यास जी के तहखाने में पूजा-अर्चना करने की अनुमति दिए जाने के खिलाफ दायर अंजुमन इंतजामिया कमेटी की याचिका पर होगी। वाराणसी की जिला अदालत ने शैलेंद्र व्यास की याचिका पर सुनवाई करते हुए व्यास जी के तहखाने में पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी थी। जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के ऐतराज के बावजूद बरकरार रखा था।

वाराणसी काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर स्थित ज्ञानवापी परिसर के व्यास जी के तहखाने में देवी-देवताओं की सेवा और पूजा-अर्चना की मांग को लेकर शैलेंद्र व्यास ने जिला अदालत वाराणसी में याचिका दायर की थी। जिसके बाद शैलेंद्र व्यास की याचिका पर वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय ने व्यास जी के तहखाने में पूजा करने की अनुमति दी थी।

इस फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें जिला अदालत के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने जिला अदालत के फैसले पर रोक से इनकार कर दिया। जिसके बाद अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट कई तारीखों पर इस मामले की सुनवाई कर चुका है।

इससे पहले मामले की पिछली सुनवाई में मस्जिद पक्ष के वकील हुजैफा अहमदी ने उच्चतम न्यायालय को मस्जिद में जाने के रास्ते के बारे में बताया था।

हुजैफा अहमदी ने न्यायालय को बताया कि हम लगातार मस्जिद का हिस्सा खोते जा रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट ने ही वजूखाना क्षेत्र को संरक्षित किया‌ है। मस्जिद की जगह पर लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है। जैसे सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई कोर्ट के आगे जाकर नीचे कई कैंटीन हैं, इस पर यह कहा जाए कि वह कैंटीन सुप्रीम कोर्ट का हिस्सा नहीं है, वैसा ही इस मामले में भी हुआ है।

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