August 21, 2025
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पाकिस्तान के सिंध में भारी बारिश से बढ़ी मुश्किलें, बिजली कटौती और जलभराव से जूझ रही बड़ी आबादी

Heavy rains in Sindh, Pakistan increased difficulties, a large population is facing power cuts and waterlogging

 

इस्लामाबाद, पाकिस्तान में लगातार हो रही मूसलाधार मानसूनी बारिश के कारण सिंध प्रांत और उसकी राजधानी कराची में गुरुवार को भारी जलभराव और बिजली की कटौती जैसी समस्याएं देखने को मिलीं।

मीडिया के अनुसार, पाकिस्तानी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि मानसून का अगला दौर ज्यादा तबाही ला सकता है।

कराची ट्रैफिक पुलिस के अनुसार, शहर की कई सड़कें बारिश के पानी में डूबी हुई हैं। कोरंगी नदी और कॉजवे रोड को ज्यादा पानी जमा होने के कारण आम यातायात के लिए बंद कर दिया गया है।

शहर के कई इलाकों जैसे उत्तरी नजीमाबाद, गुलिस्तान-ए-जौहर, डिफेंस व्यू, ओरंगी टाउन, लियारी, बल्दिया टाउन, लियाकताबाद, सुरजानी और कोरंगी इंडस्ट्रियल एरिया के लोगों ने बताया कि सभी पिछले 24 से 48 घंटे से बिना बिजली के रह रहे हैं।

इसके अलावा, कराची के कुछ इलाकों में 36 घंटे से ज्यादा समय तक बिजली नहीं आई, जिससे लोगों के घरों में पानी की सप्लाई भी बंद है।

पाकिस्तान के प्रमुख समाचार चैनल ‘दुनिया न्यूज’ की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार तक कराची में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई और 10 लोग घायल हुए हैं।

इसी बीच, गुलिस्तान-ए-जौहर के ब्लॉक 8 में 32 घंटे से बिजली नहीं मिलने से नाराज लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। वहीं, ब्लॉक 2 में मंगलवार से ही बिजली नहीं थी। उत्तरी नजीमाबाद के कई इलाकों में भी 45 घंटे तक बिजली गायब रही।

पाकिस्तानी समाचार चैनल ‘जियो न्यूज’ की रिपोर्ट के मुताबिक, हैदराबाद शहर के लोगों ने भी ऐसी ही शिकायतें की हैं। उनका कहना है कि लतीफाबाद और कासिमाबाद के 90 प्रतिशत हिस्सों में अब तक बिजली नहीं आई है और बिजली बहाल होने में 7 घंटे से ज्यादा का समय लग रहा है।

कराची के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिंध के गवर्नर कामरान टेसोरी ने कहा कि बिजली की समस्या इस समय शहर की सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।

उन्होंने पत्रकारों को बताया कि सुरजानी इलाके में कई परिवारों को मजबूरी में छतों पर सोना पड़ा, क्योंकि उनके घरों में बारिश का पानी भर गया था। गवर्नर हाउस के शिकायत विभाग को एक दिन में 11,000 से ज्यादा शिकायतें मिलीं, जिनमें ज्यादातर बिजली कटौती से जुड़ी थीं।

 

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