हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने विमल नेगी मामले से जुड़ी सुनवाई का लाइव स्ट्रीमिंग वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करने के मामले में स्वत: संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है। शिमला के पुलिस अधीक्षक की ओर से एक आवेदन दायर कर अनुरोध किया गया था कि भाजपा विधायक सुधीर शर्मा के खिलाफ स्वत: संज्ञान लिया जाए और उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।
न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने आवेदन को खारिज कर दिया और कहा कि “इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि रिट याचिका पहले ही निपटा दी गई है, इस अदालत का विचार है कि जहां तक आवेदन में उठाए गए मुद्दों का सवाल है, यह निष्फल हो गई है। यदि आवेदक को कोई शिकायत है, तो उसे सलाह दी जाती है कि वह उक्त शिकायत(ओं) के निवारण के लिए उचित आवेदन या उचित याचिका के माध्यम से स्वतंत्र रूप से उचित न्यायालय/मंच से संपर्क करे।”
अदालत ने कहा कि “एडवोकेट जनरल द्वारा की गई प्रार्थना कि इस अदालत को आवेदन में वर्णित घटनाओं का स्वतः संज्ञान लेना चाहिए, खारिज की जाती है। आवेदन खारिज किया जाता है। हालांकि, इस अदालत ने आवेदन में उठाए गए मुद्दों की योग्यता पर कोई टिप्पणी नहीं की है।”
शिमला के एसपी ने आवेदन में आरोप लगाया कि सुधीर शर्मा ने अपने स्वार्थ के लिए दुर्भावनापूर्ण इरादे से उनकी छवि खराब करने के लिए लाइव स्ट्रीमिंग को नकारात्मक तरीके से सोशल मीडिया पर साझा किया, जो राज्य उच्च न्यायालय के नियमों के विपरीत है।
एसपी ने यह आवेदन विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी द्वारा दायर एक निस्तारित याचिका में दायर किया था, जिसमें राज्य पुलिस से जांच को सीबीआई को स्थानांतरित करने की मांग की गई थी और अदालत ने 23 मई को इसकी अनुमति देते हुए जांच को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया था।
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