राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) और हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने संयुक्त रूप से रविवार को बिलासपुर में विधिक साक्षरता आउटरीच शिविर का आयोजन किया। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की, जबकि न्यायमूर्ति रोमेश वर्मा और न्यायमूर्ति जिया लाल भारद्वाज विशिष्ट अतिथि थे।
न्यायमूर्ति विवेक ठाकुर ने नशामुक्त समाज बनाने और पृथ्वी की भलाई के लिए पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित परिवारों की सहायता के लिए समाज को आगे आना चाहिए।
न्यायमूर्ति विवेक ठाकुर ने कहा कि संविधान की स्थापना देश और समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक न्याय की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए की गई थी। उन्होंने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण इस दिशा में अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहा है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि नशे के ख़िलाफ़ लड़ाई में माता-पिता और शिक्षकों की अहम भूमिका है क्योंकि ऐसी कई चीज़ें हैं जिन्हें क़ानून से लागू नहीं किया जा सकता और जिन्हें सिर्फ़ मूल्यों और संस्कृति से ही हासिल किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति विवेक ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति पर गंभीर चिंता व्यक्त की और आपदा प्रभावित परिवारों से बातचीत की। उन्होंने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के राहत कोष के माध्यम से दिए गए सहयोग की पुनः पुष्टि की, जिसने समय पर सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने सरकारी पुनर्वास योजनाओं के पारदर्शी और ईमानदार क्रियान्वयन पर ज़ोर दिया ताकि लाभ वास्तविक पात्र व्यक्तियों तक पहुँच सके।
न्यायमूर्ति विवेक ठाकुर ने विधिक सेवा प्राधिकरण के स्वयंसेवकों के समर्पित प्रयासों की सराहना की, जो समुदायों में कानूनी जागरूकता फैलाने में निरंतर लगे हुए हैं। सदस्य सचिव रणजीत सिंह, बिलासपुर की जिला एवं सत्र न्यायाधीश ज्योत्सना सुमंत डढवाल, अन्य न्यायिक अधिकारी, जिला प्रशासन के अधिकारी, विधिक समुदाय के सदस्य, छात्र, पंचायत प्रतिनिधि, महिला मंडल, स्वयं सहायता समूह, आंगनवाड़ी एवं आशा कार्यकर्ता तथा आपदा प्रभावित परिवार भी इस अवसर पर उपस्थित थे।


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