पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने मृत पालतू पशुओं को दफनाने के लिए सुविधाएं स्थापित करने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन, नगर निगम और पंचकूला तथा मोहाली के अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।
ख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल ने यह नोटिस तब जारी किया जब पीठ को बताया गया कि ट्राइसिटी में ऐसी कोई सुविधा नहीं है।
अधिवक्ता श्रुति शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि ट्राइसिटी में मृत पशुओं के निपटान या दफनाने के लिए कोई निर्दिष्ट स्थान नहीं है, न ही ऐसी सेवाओं के लिए कोई वैन या निर्धारित दरें उपलब्ध हैं। यह चंडीगढ़ रजिस्ट्रेशन ऑफ पेट डॉग्स बाय-लॉज-2010 के विपरीत है, जिसके अनुसार नगर निगम को अनुरोध पर वैन और दफनाने की जगह उपलब्ध कराना अनिवार्य है।
याचिका में पशु जन्म नियंत्रण नियमों का भी हवाला दिया गया है, जिसके अनुसार स्थानीय अधिकारियों को जानवरों के शवों के निपटान के लिए भस्मक लगाने या जहां भस्मक संभव नहीं हैं, वहां गहरे दफनाने के तरीकों का इस्तेमाल करना आवश्यक है। शर्मा की याचिका में तर्क दिया गया कि उचित निपटान विधियां महत्वपूर्ण हैं और जानवरों के पास मनुष्यों के समान अधिकार हैं, जिसमें जीवन का सम्मानजनक अंत भी शामिल है।