पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने रोहतक नगर निगम को सार्वजनिक भूमि पर मूर्तियां स्थापित करने के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का पालन करने का आदेश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल की खंडपीठ ने एक स्थानीय निवासी द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश जारी किया, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार रोहतक शहर के सोनीपत स्टैंड पर स्थापित हरियाणा के दिवंगत मंत्री सेठ श्री कृष्ण दास गोयल की प्रतिमा को हटाने की मांग की गई थी।
शर्मा के वकील निखिल घई ने कहा, “रोहतक के सोनीपत स्टैंड पर दिवंगत मंत्री की प्रतिमा उस समय स्थापित की गई थी, जब उनके बेटे मनमोहन गोयल रोहतक के मेयर थे। रोहतक जिले के निवासी देवेंद्र शर्मा ने उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रतिमा की स्थापना से इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन हुआ है।”
खंडपीठ ने कहा कि नगर निगम, रोहतक की ओर से दायर लिखित बयान में भूमि पर दिवंगत मंत्री की प्रतिमा स्थापित करने को उचित ठहराया गया है, जबकि प्रतिवादियों ने इस बात से इनकार नहीं किया है कि यह सार्वजनिक भूमि है।
आदेश में कहा गया है, “धर्मेंद्र सिंह, आयुक्त, नगर निगम, रोहतक, जो वर्चुअल रूप से उपस्थित हुए हैं, को भारत संघ बनाम गुजरात राज्य और अन्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 18.01.2013 (अनुलग्नक पी-7) के आदेश से अवगत कराया गया है… जिसके तहत सार्वजनिक भूमि पर मूर्तियों की स्थापना पर रोक लगाई गई है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ही नहीं, बल्कि विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा भी सार्वजनिक भूमि पर स्थापित की गई मूर्तियों को हटाने के निर्देश जारी किए गए हैं।”
आदेश में कहा गया है, “तदनुसार, हम प्रतिवादी संख्या 4 – नगर निगम, रोहतक को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के नियमों का पालन करने तथा अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देते हैं।”
रोहतक नगर निगम आयुक्त धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने हरियाणा के महाधिवक्ता कार्यालय से इस मामले में कानूनी राय मांगी है। रोहतक के पूर्व मेयर मनमोहन गोयल ने कहा कि उचित प्रक्रिया का पालन करने और सरकार से अपेक्षित अनुमति प्राप्त करने के बाद मूर्ति स्थापित की गई थी। उन्होंने कहा, “हम अब इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।”