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2022 में दिल्ली में यौन उत्पीड़न के सबसे ज्‍यादा मामले दर्ज : एनसीआरबी रिपोर्ट

Highest number of sexual harassment cases registered in Delhi in 2022: NCRB report

नई दिल्ली, 12  दिसंबर। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, मेट्रोपॉलिटन शहरों में राष्ट्रीय राजधानी में यौन उत्पीड़न के सबसे ज्‍यादा मामले दर्ज किए गए। साथ ही कार्यस्थल पर हिंसा के मामलों में भी दिल्ली आगे रही।

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के 2022 के चौंकाने वाले आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में 19 मामले दर्ज किए गए, जबकि मुंबई में 15, हैदराबाद में नौ और बेंगलुरु में आठ मामले सामने आए।

मुद्दे की गंभीरता के बावजूद, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की घटनाओं की रिपोर्ट करने में पीड़ितों के बीच अनिच्छा बनी हुई है।

प्रतिशोध का डर और किसी की आजीविका खोने का डर, आगे आने से जुड़ा कलंक और किसी की पेशेवर और व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को धूमिल करने का जोखिम जैसे कारणों से कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की कम मामले सामने आते है।

कभी-कभी महिलाओं द्वारा शिकायत करने का साहस जुटाने के बाद भी उन्हें उच्च अधिकारियों से शिकायत पर कार्रवाई करवाने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है, खासकर अगर इसमें कोई बहुत वरिष्ठ व्यक्ति शामिल हो।

उदाहरण के लिए इस साल मई में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने शहर के एक सरकारी स्कूल में कुछ महिला शिक्षकों द्वारा यौन उत्पीड़न की शिकायतों पर एक उप-प्रिंसिपल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की।

हालांकि यह कार्रवाई दिल्ली महिला आयोग को राष्ट्रीय राजधानी के कादीपुर इलाके में लड़कों के स्कूल के प्रमुख के खिलाफ यौन और मानसिक उत्पीड़न की कई शिकायतें मिलने के बाद हुई।

डीसीडब्ल्यू के अनुसार, शिकायतकर्ताओं ने कहा था कि आरोपी ने स्कूल के शिक्षकों का यौन और मानसिक उत्पीड़न किया था और शिक्षकों ने उच्च अधिकारियों के समक्ष भी उसके खिलाफ कई शिकायतें दर्ज की थीं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

इसके अलावा, डीसीडब्ल्यू को यह भी पता चला कि 2022 में एक अन्य महिला द्वारा उक्त आरोपी के खिलाफ एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी।

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचाता है जो पेशेवर माहौल में लिंग भेदभाव की एक स्पष्ट अभिव्यक्ति के रूप में कार्य करता है। यह संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत निहित मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का भी प्रतिनिधित्व करता है, जो समानता को ख़त्म करता है और श्रमिकों के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कल्याण को खतरे में डालता है।

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