शिमला, हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 को ध्वनि मत से पारित कर दिया, ताकि ‘सामूहिक धर्मांतरण’ के मामलों में सख्त सजा का प्रावधान हो सके।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि इससे पहले कानून को गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके या विवाह द्वारा धर्म परिवर्तन पर रोक लगाकर धर्म की स्वतंत्रता प्रदान करने की ²ष्टि से अधिनियमित किया गया था। उन्होंने कहा, “अब, इसे सख्त बनाने के लिए कुछ संशोधन करने की आवश्यकता है।”
इस कदम के साथ हिमाचल सरकार धार्मिक स्वतंत्रता कानून-2019 को सख्त करने जा रही है। संशोधित विधेयक के पारित होने पर हिमाचल में जबरन, कपटपूर्ण तरीके और विवाह के समय जाति छिपाने का खुलासा होने पर सजा का प्रावधान किया है।
हिमाचल प्रदेश 2006 में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू करने वाले पहले राज्यों में से एक था। हालांकि, बाद में सरकार ने अधिनियम को निरस्त कर दिया और जबरन धर्मांतरण के मामलों में वृद्धि का हवाला देते हुए हिमाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2019 को अधिनियमित किया।
ठाकुर ने शुक्रवार को विधानसभा में विधेयक को सत्र के अंतिम दिन पेश करते हुए कहा, “बड़े पैमाने पर धर्मांतरण को रोकने के लिए अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं था। इसलिए, इस आशय का प्रावधान किया जा रहा है। सामूहिक धर्मांतरण के लिए पांच से 10 साल की जेल और 1.50 लाख रुपये का जुर्माने का प्रावधान होगा।”
2006 का कानून वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा लाया गया था। भाजपा सरकार ने 2019 संस्करण (वर्जन) पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया।