शिमला, 31 जनवरी मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने आज कहा कि शहरी क्षेत्रों में धन की कमी और असमान क्षेत्रीय विकास की समस्या से निपटने के लिए सरकार शहरी बुनियादी ढांचा विकास निधि (यूआईडीएफ) के तहत धन की तलाश करेगी।
सुक्खू ने यह बात आज यहां वार्षिक योजना 2024-25 के दूसरे दिन के पहले सत्र में कांगड़ा, किन्नौर और कुल्लू जिलों के विधायकों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने विधायकों से राज्य की विकास नीति, वित्तीय संसाधन जुटाने, अर्थव्यवस्था, बेहतर प्रशासन, स्वरोजगार और रोजगार सृजन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सुझाव आमंत्रित किये।
उन्होंने कहा, “सरकार नगर निगमों के तहत शहरी क्षेत्रों में शहरी बुनियादी ढांचा विकास निधि (यूआईडीएफ) के तहत वित्त पोषण और इन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास और वित्त पोषण के लिए संबंधित विधायकों से प्राथमिकताएं मांगेगी।” उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए गतिविधियां केवल ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास निधि (आरआईडीएफ), नाबार्ड के तहत पात्र हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक विधायक सड़कों और पुलों, लघु सिंचाई योजनाओं और ग्रामीण पेयजल/सीवेज योजनाओं जैसी योजनाओं के लिए पांच प्राथमिकताएं प्रस्तावित कर सकता है। उन्होंने कहा कि एक प्राथमिकता रखरखाव से संबंधित और एक इलेक्ट्रिक बसें चलाने के साथ-साथ चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना को भी शामिल किया जा सकता है।
सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों से वन स्वीकृतियों की संख्या में वृद्धि हुई है और एफसीए तथा एफआरए मामलों की समीक्षा बैठकों में संबंधित विधायक को आमंत्रित करने के निर्देश जारी किये गये हैं। राज्य सरकार ने भूमिगत केबलिंग और मुख्यमंत्री लोक भवन के निर्माण कार्य के लिए भी विधायक निधि से धनराशि उपलब्ध कराने का प्रावधान किया है।
उन्होंने कहा, “राज्य सरकार ने 31 मार्च, 2026 तक हिमाचल प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है, जिससे आय के स्रोत बढ़ेंगे और राज्य आत्मनिर्भर बनेगा।” उन्होंने कहा कि चरणबद्ध तरीके से एचआरटीसी बसों को ई-बसों से बदला जा रहा है और ई-चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं।
ज्वालामुखी के विधायक संजय रतन ने ज्वालामुखी मंदिर के लिए मास्टर प्लान बनाकर श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाने की मांग की। देहरा के विधायक होशियार सिंह ने क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा बेहतर वन प्रबंधन के माध्यम से आर्थिक संसाधन बढ़ाने के सुझाव दिये। उन्होंने प्रदेश के मंदिरों में लकड़ी आधारित उद्योग लगाने और वीआईपी दर्शन पर्ची के जरिए राजस्व बढ़ाने की भी मांग की।