नूरपुर, 27 जून जम्मू-कश्मीर में मुठभेड़ में नूरपुर के अग्निवीर कार्तिक चम्बियाल (21) की मौत के एक महीने बाद भी हिमाचल प्रदेश सरकार उनकी शहादत पर कोई संज्ञान लेने में विफल रही है, जिससे उनके माता-पिता – सेवानिवृत्त नायब सूबेदार कुलदीप सिंह और सुनीता कुमारी – टूट गए हैं।
कार्तिक नूरपुर के नागनी ग्राम पंचायत के बान गांव के रहने वाले थे। वे 27 मई को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में सेना और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ में शहीद हो गए थे।
जानकारी के अनुसार, 28 मई को सेना के जवानों की एक टीम शहीद के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव लेकर आई। अंतिम संस्कार के दौरान शहीद को न तो गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और न ही राज्य सरकार या प्रशासन का कोई प्रतिनिधि मौजूद रहा। गांव का दौरा करने पर पता चला कि अग्निवीर की मौत से परिवार सदमे में है और उसकी मां बेसुध है।
कुलदीप सिंह ने बताया कि नवंबर 2022 में 5 जेएके राइफल्स में भर्ती होने वाले कार्तिक ने जबलपुर में यूनिट हेडक्वार्टर जॉइन कर लिया है। उन्होंने बताया कि उनके बेटे के शव के साथ आए सेना के जवानों ने उन्हें बताया कि कार्तिक की मौत की सूचना राज्य सरकार को दे दी गई है। उन्होंने बताया, “मेरा बेटा हिमाचल प्रदेश का पहला अग्निवीर था, जिसने शहादत पाई, लेकिन उसके अंतिम संस्कार में कोई सरकारी अधिकारी शामिल नहीं हुआ।” कुलदीप सिंह ने मांग की कि गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय का नाम उनके बेटे के नाम पर रखा जाए।
अग्निवीर के माता-पिता से मिलने पहुंचे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पठानिया ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के पहले अग्निवीर के सर्वोच्च बलिदान की अनदेखी की है। उन्होंने सरकार से पंजाब की तर्ज पर परिवार को तुरंत एक करोड़ रुपए की सहायता देने की मांग की।
अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के प्रदेश अध्यक्ष कर्नल दर्शन सिंह मनकोटिया (सेवानिवृत) ने सरकार व प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार का ऐसा रवैया निंदनीय है।
संपर्क करने पर नूरपुर के एसडीएम गुरसिमर सिंह ने कहा कि अग्निवीर कार्तिक चंबियाल की शहादत या अंतिम संस्कार के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है, लेकिन उन्हें दो दिन पहले घटना के बारे में पता चला और स्थानीय नायब तहसीलदार ने सोमवार को शहीद के परिवार से मुलाकात की।
उन्होंने कहा, “परिवार की इच्छा के अनुसार गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय का नाम शहीद के नाम पर रखने का प्रस्ताव सरकार की मंजूरी के लिए तैयार किया जा रहा है।” प्रथम एच.पी. अग्निवीर शहीद मेरा बेटा हिमाचल प्रदेश का पहला अग्निवीर था, जिसने शहादत पाई, लेकिन उसके अंतिम संस्कार में कोई अधिकारी शामिल नहीं हुआ। – कुलदीप सिंह, सेवानिवृत्त नायब सूबेदार
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