हिमाचल प्रदेश सरकार नदियों और नालों के किनारे, साथ ही बाढ़ और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में बेतरतीब निर्माण को रोकने के लिए तीन स्तरीय नीति पर काम कर रही है, नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने शनिवार को कहा।
मंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में मकानों के निर्माण को विनियमित करने के लिए सुरक्षा मानदंड और सख्त नियम बनाए जाएंगे।
उन्होंने पीटीआई वीडियोज को बताया कि भवनों, पुलों और अन्य संरचनाओं के निर्माण के लिए सुरक्षा परिषद से प्रमाणन की आवश्यकता होगी और उनके डिजाइन लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार होंगे।
चालू मानसून सीजन में अब तक बादल फटने, अचानक बाढ़ और भूस्खलन से संबंधित घटनाओं में लगभग 112 लोगों की मौत हो चुकी है, जिससे राज्य को 1,900 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
दो वर्ष पहले मानसून के दौरान 540 लोगों की मौत हो गई थी और अनुमानतः 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ था।
धर्माणी ने जोर देकर कहा कि कार्बन उत्सर्जन के कारण जलवायु परिवर्तन भी ऐसी आपदाओं का एक प्रमुख कारण है और उन्होंने कहा कि राज्य में कार्बन उत्सर्जन अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम है, इसलिए जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाने के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि नगर नियोजन अधिनियम के निदेशक की शक्तियां शहरी स्थानीय निकाय क्षेत्रों के आयुक्तों और कार्यकारी अधिकारियों को सौंप दी गई हैं।
मंत्री ने कहा कि विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एसएडीए) में उपायुक्तों और एसडीएम के पास जिम्मेदारी होगी, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में नियमों को लागू करने और अनुपालन के लिए पंचायत सचिवों के पास अधिकार होंगे।
उन्होंने कहा कि 1,000 वर्ग मीटर से बड़े भूखंडों पर निर्माण पहले से ही नगर नियोजन अधिनियम के अंतर्गत आता है। धर्माणी ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू मार्च 2026 तक हिमाचल को ‘हरित राज्य’ बनाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि भूकंप का खतरा चिंता का प्रमुख कारण है, क्योंकि हिमाचल प्रदेश भूकंपीय क्षेत्र में आता है और अधिकांश निजी भवनों में भूकंपरोधी सुविधाएं नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे भवनों की सुरक्षा के लिए रेट्रोफिटिंग की आवश्यकता है।
हिमाचल प्रदेश भूकंपीय क्षेत्र IV और V में आता है और भूकंप के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।
उन्होंने कहा कि अव्यवस्थित, अनियोजित और असुरक्षित निर्माणों को रोकने तथा जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए सुरक्षा मानदंडों को लागू करने के लिए लोगों का सहयोग आवश्यक है।