कांगड़ा जिले के पड़ोसी इंदौरा उपमंडल के मंड क्षेत्र में अनियंत्रित और अवैज्ञानिक खनन स्थानीय निवासियों के लिए चिंता का विषय बन गया है। स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद खनन माफिया जेसीबी और पोकलेन जैसी भारी मशीनों का उपयोग करके ब्यास और चोंच नदी से पत्थर और अन्य कच्चा माल निकालना जारी रखे हुए हैं, जिससे नदी के तल पर बड़ी-बड़ी खाइयां बन गई हैं।
इस अंतरराज्यीय सीमा क्षेत्र का पर्यावरण गंभीर खतरे में है और मंड क्षेत्र की कई ग्राम पंचायतों के निवासियों को अवैध खनन के दुष्परिणामों का सामना करना पड़ रहा है। रात के समय खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध के बावजूद अपराधी रात में मशीनों की मदद से बेखौफ होकर कच्चा माल निकाल रहे हैं।
कांगड़ा जिले के इंदौरा ग्राम पंचायत का वार्ड नंबर 11 ब्यास नदी के किनारे अवैध खनन का केंद्र बन गया है। संबंधित अधिकारी इस अवैध काम को रोकने में विफल रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार पिछले कई महीनों से अवैध खनन का काम धड़ल्ले से चल रहा है। जेसीबी मशीनों की मदद से दिन-रात खनन करना और निकाले गए कच्चे माल को रिहायशी इलाके में बने रास्ते से ले जाना एक बड़ा अपराध बन गया है।
ब्यास नदी के किनारे किसानों की जमीन का भी अवैध खनन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। जैसे ही सूरज डूबता है, कई ट्रैक्टर-ट्रेलर जेसीबी मशीनों से निकाले गए खनिजों (कच्चे माल) को उठाने के लिए क्षेत्र में पहुंच जाते हैं, जो इंदौरा के मांड क्षेत्र में संचालित पत्थर क्रशरों को बेचे जाते हैं।
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि रात के समय वार्ड नंबर 11 से कई भरे हुए ट्रैक्टर-ट्रेलरों को कच्चा माल ले जाते देखा जा सकता है।
खनन विभाग ने इंदौरा में एक खनन निरीक्षक, एक सहायक खनन निरीक्षक और एक खनन रक्षक की तैनाती की है। लेकिन वे अवैध खनन और खनन सामग्री के परिवहन पर रोक नहीं लगा पाए हैं। प्रभावित मंड क्षेत्र के निवासियों ने राज्य सरकार से अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाने की अपील की है। एसडीएम इंदौरा सुरिंदर ठाकुर का कहना है कि जानकारी मिलने पर उन्होंने डीएसपी इंदौरा को निर्देश दिए हैं कि वे अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें और क्षेत्र में अवैध खनन को रोकने के लिए कदम उठाएं
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