हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने सोमवार को कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए संवेदनशीलता के साथ काम कर रही है और कड़ी कार्रवाई के कारण छुआछूत की घटनाओं में कमी आई है। मुख्यमंत्री ने 11 वर्षों के अंतराल के बाद नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1995 तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण), 1985 के लिए गठित राज्य स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठक की अध्यक्षता की।
उन्होंने कहा कि ये कानून कांग्रेस और डॉ. बी.आर. अंबेडकर की सामाजिक न्याय की भावना और दूरदर्शिता का परिणाम हैं। उन्होंने कहा कि इन कानूनों को राज्य में प्रभावी ढंग से लागू किया जा रहा है, जिससे हमारे समाज में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं।
सुखू ने कहा कि महात्मा गांधी ने समाज में समानता और समरसता स्थापित करने के लिए जीवन भर संघर्ष किया। उनके प्रयासों से प्रेरित होकर, राज्य सरकार अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में 1,200 पीड़ितों को पुनर्वास सहायता के रूप में 7.35 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं, जबकि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से 45,238 पीड़ितों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान की गई है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री धनी राम शांडिल ने कहा कि राज्य की 25.19 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित है और राज्य सरकार उनके कल्याण के लिए कार्य कर रही है।

