शिमला, 2 अगस्त प्लास्टिक कचरे से पर्यावरण को हो रहे नुकसान पर चिंता व्यक्त करते हुए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने दो निजी प्लास्टिक उत्पादक कंपनियों को अपने उत्पाद से उत्पन्न कचरे का विवरण हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचपीएसपीसीबी) के पास जमा नहीं कराने पर अवमानना नोटिस जारी किया है।
निर्देश पारित करते हुए न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने हाल ही में कुल्लू और रामपुर क्षेत्र में बादल फटने से हुई त्रासदी पर भी चिंता व्यक्त की और मौखिक रूप से महाधिवक्ता को पर्यावरण को बचाने के लिए उपचारात्मक कदम उठाने को कहा ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी को कम से कम किया जा सके।
प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के गैर-कार्यान्वयन के मुद्दे को उजागर करने वाली याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई के दौरान, यह अदालत के ध्यान में लाया गया कि प्लास्टिक कचरे के मुद्दों को हल करने के लिए सभी हितधारकों की एक बैठक पहले से ही 3 अगस्त को शहरी विकास निदेशक के कार्यालय में निर्धारित की गई थी।
इस पर न्यायालय ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई पर बैठक की कार्यवाही प्रस्तुत करने का निर्देश दिया तथा मामले को 8 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई पर न्यायालय ने सभी उत्पादकों, आयातकों/ब्रांड मालिकों (पीआईबीओ) को निर्देश दिया था कि वे राज्य में अपने उत्पाद से उत्पन्न प्लास्टिक कचरे का विवरण हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचपीएसपीसीबी) के पास जमा कराएं।
इसके अलावा, न्यायालय ने पीआईबीओ को अपशिष्ट प्रबंधन एजेंसियों के माध्यम से शहरी स्थानीय निकायों और ग्राम पंचायतों के साथ सहयोग करने तथा राज्य में पंजीकृत प्लास्टिक अपशिष्ट प्रसंस्करणकर्ताओं के माध्यम से प्लास्टिक कचरे के प्रभावी संग्रह, पृथक्करण और प्रसंस्करण के तौर-तरीकों पर काम करने का भी निर्देश दिया था।