रविवार को ऊना के निकट लता मंगेशकर कला केंद्र में आयोजित एक विशाल विधिक साक्षरता शिविर में, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने नागरिकों से एक सुसंस्कृत, जागरूक और नशामुक्त समाज के निर्माण की ज़िम्मेदारी उठाने का आग्रह किया। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वास्तविक सामाजिक परिवर्तन प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तिगत संकल्प और आचरण से शुरू होता है।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण और हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस शिविर का मुख्य विषय था: नशामुक्त समाज और भारत का संकल्प तथा पर्यावरण संरक्षण – ग्रह की रक्षा। न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि नशाखोरी भारत के युवाओं की शक्ति को नष्ट करने वाली सबसे विनाशकारी शक्तियों में से एक है।
स्वामी विवेकानंद का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि जब युवा पीढ़ी मादक द्रव्यों के सेवन की शिकार हो जाती है, तो राष्ट्र को कमज़ोर करना आसान हो जाता है। उन्होंने युवाओं, अभिभावकों और सामुदायिक नेताओं से आह्वान किया कि वे नशा उन्मूलन को सरकार द्वारा संचालित कार्य के बजाय एक सामूहिक मिशन के रूप में देखें।
पर्यावरण संबंधी चिंताओं पर बात करते हुए, न्यायमूर्ति ठाकुर ने आगाह किया कि पारिस्थितिक क्षरण उस बिंदु पर पहुँच गया है जहाँ यह मानव अस्तित्व के लिए ही ख़तरा बन गया है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि प्रकृति की रक्षा केवल भाषणों या प्रतीकात्मक इशारों से नहीं की जा सकती; इसके लिए व्यवहार परिवर्तन और पारिस्थितिक संतुलन के अनुरूप जीवनशैली की आवश्यकता है। कार्यक्रम के दौरान, उन्होंने पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी को उजागर करने के लिए एक पेड़ पर एक पत्ता चिपकाकर एक प्रतीकात्मक गतिविधि में भी भाग लिया।
शिक्षाविद् एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. मुक्ता ठाकुर ने विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि एक सुदृढ़ समाज का निर्माण शिक्षा, संस्कृति और मूल्यों की नींव पर होता है। उन्होंने भगवद्गीता, वेदों और पुराणों का हवाला देते हुए बताया कि भारतीय धर्मग्रंथ नैतिक जीवन और सामाजिक समरसता के शाश्वत सिद्धांत प्रदान करते हैं।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव रणजीत सिंह ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग और पर्यावरण शोषण के विरुद्ध अभियानों में व्यापक जनभागीदारी का आह्वान किया। उन्होंने चेतावनी दी कि प्रकृति के साथ अनियंत्रित मानवीय हस्तक्षेप आने वाली पीढ़ियों के लिए एक असुरक्षित और अस्वस्थ दुनिया छोड़ जाएगा।
ऊना के जिला एवं सत्र न्यायाधीश नरेश कुमार ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग और पर्यावरणीय गिरावट को व्यापक सामाजिक दायित्वों से जोड़ते हुए कहा कि मादक पदार्थों की लत व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से नष्ट कर देती है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव अनीता शर्मा ने भी सभा को संबोधित किया।


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