शिमला, 8 अगस्त हिमाचल प्रदेश इस स्थिति में होगा कि वह लगभग 1000 मेगावाट बिजली पैदा कर सके। आगामी छह महीनों में 50 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता विकसित की जाएगी। राज्य सरकार युवाओं को सौर ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में प्रवेश करने और स्वयं के लिए आजीविका कमाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज यहां ऊर्जा विभाग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि ये परियोजनाएं वास्तविक हिमाचलियों को आवंटित की जाएंगी।
उन्होंने संबंधित अधिकारियों को सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर चल रहे काम में तेजी लाने के निर्देश दिए ताकि उन्हें जल्द से जल्द चालू किया जा सके और नई परियोजनाओं के लिए स्थलों की पहचान भी की जा सके। उन्होंने राज्य में सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ऊना जिले के पेखूबेला में 32 मेगावाट की सौर परियोजना स्थापित की गई है और कुटलैहड़ और गगरेट विधानसभा क्षेत्रों में 10 मेगावाट और 5 मेगावाट की परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और इसे ध्यान में रखते हुए जलविद्युत के साथ-साथ सौर ऊर्जा का भी उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “सौर ऊर्जा एक स्वच्छ और नवीकरणीय स्रोत है जो कार्बन उत्सर्जन को कम करता है और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करता है। इन सौर ऊर्जा परियोजनाओं को न्यूनतम रखरखाव की आवश्यकता होती है और इनका जीवनकाल भी लंबा होता है।”
सुक्खू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ी चुनौती है और हरित पहल ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने हरित उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई, जो 31 मार्च, 2026 तक हिमाचल को हरित ऊर्जा राज्य बनाने के सरकार के लक्ष्य को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
उन्होंने कहा कि सरकार इलेक्ट्रिक बसों के उपयोग को भी बढ़ावा दे रही है और हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की बसों के पूरे बेड़े को ई-बसों में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया है।
बैठक में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार राम सुभग सिंह, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, प्रधान सचिव आरडी नजीम, देवेश कुमार और अमनदीप गर्ग शामिल हुए।