नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने आज कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार पर कर्ज का बोझ एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है और केन्द्र सरकार राज्य को कोई विशेष वित्तीय सहायता नहीं दे रही है।
धर्माणी ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि देनदारियों को पूरा करने के लिए कर्ज लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2022 से दिसंबर 2024 के बीच जुटाए गए कुल कर्ज 30,008 करोड़ रुपये का 63 फीसदी हिस्सा पुराने कर्ज चुकाने में इस्तेमाल किया गया और विकास कार्यों के लिए सिर्फ 11,226 करोड़ रुपये बचे हैं।
मंत्री ने कहा कि राज्य ने पिछली भाजपा सरकार के दायित्वों को पूरा करने के लिए ऋण लिया है, क्योंकि पिछले दो वर्षों में 7,264 करोड़ रुपये की मूल ऋण राशि और पहले उठाए गए ऋणों पर 11,590 करोड़ रुपये का ब्याज चुकाया गया है। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने राज्य के वित्त को बेहतर बनाने और निवेश लाने के लिए राजकोषीय अनुशासन लागू किया है। कुशल राजकोषीय प्रबंधन के कारण एक वर्ष में 2,631 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न हुआ है।”
उन्होंने कहा, ‘‘11 दिसंबर 2022 को जब कांग्रेस की सरकार बनी तो हमें 75,000 करोड़ रुपये का कर्ज विरासत में मिला और इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों को 10,000 करोड़ रुपये की देनदारियां भी मिलीं।’’ उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि जो लोग इस कर्ज के जाल के लिए जिम्मेदार हैं, वे इसका दोष मौजूदा सरकार पर डालने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि मौजूदा स्थिति उन्हीं के कामों का नतीजा है।
धर्माणी ने कहा कि भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए जनता को गुमराह करने के लिए झूठा प्रचार कर रही है। उन्होंने कहा, “विपक्ष रचनात्मक भूमिका निभाने के बजाय हिमाचल सरकार द्वारा ऋणों का दुरुपयोग करने के बारे में झूठा और भ्रामक प्रचार कर रहा है।” इसके विपरीत, भाजपा नेताओं को केंद्र से हिमाचल को विशेष वित्तीय सहायता देने का आग्रह करना चाहिए क्योंकि राजस्व घाटा अनुदान 2021-22 में 10,200 करोड़ रुपये से अब 6258 करोड़ रुपये हो गया है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने छह गारंटियां पूरी की हैं और अनाथ बच्चों, निराश्रित और आर्थिक रूप से कमजोर अन्य वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने कहा, “पिछली भाजपा सरकार के विपरीत, हम मुफ्त चीजें नहीं दे रहे हैं क्योंकि ऐसी सब्सिडी केवल आयकरदाताओं से वापस ली गई है।”
उन्होंने कहा, ”मुख्यमंत्री ने फिजूलखर्ची को कम करने के लिए कई कठोर फैसले लिए हैं।” कांगड़ा में एक प्राणी उद्यान की स्थापना, कांगड़ा हवाई अड्डे का विस्तार, रोपवे और सड़कों की स्थापना को प्रोत्साहित करना और जल खेलों को बढ़ावा देना जैसी परियोजनाएं पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए शुरू की जा रही हैं।
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