January 31, 2025
National

ऐतिहासिक पावर कट, उत्तर भारत के 7 राज्यों में एक साथ हुई थी बिजली गुल, 36 करोड़ लोग हुए थे प्रभावित

Historic power cut, there was simultaneous power failure in 7 states of North India, 36 crore people were affected.

नई दिल्ली, 30 जुलाई । गर्मियों के दिनों में कुछ घंटे के लिए बिजली चली जाए तो आम लोगों का हाल बेहाल हो जाता है। बिजली कंपनियों के टॉल फ्री नंबर पर शिकायतों की बाढ़ आ जाती है। सोसाइटी, कॉलोनियों में बिजली कंपनी के खिलाफ लोगों में गुस्सा फूटने लगता है। फिर थक हार कर बिजली आने का इंतजार करने लगते हैं।

कुछ ऐसा ही इंतजार एक दशक पूर्व देश के सात राज्यों के लोग कर रहे थे। दरअसल, साल 2012 में 30 जुलाई की रात को ऐसा पावर कट लगा, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। इसे ऐतिहासिक पावर कट के तौर पर भी जाना जाता है। इस दिन सात राज्यों में एक साथ बिजली चली गई। शहरों में रहने वाले लोग परेशान हो गए थे। ग्रामीण इलाकों में लोग संयमित थे लेकिन शहरी इलाके त्राहिमाम कर रहे थे।

किस्सा कुछ यूं हैं कि 30 जुलाई 2012 को करीब ढाई बजे बिजली चली गई। लोगों को लगा कि बिजली गई है तो आ जाएगी। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। जब लोगों को पता चला कि सात राज्यों की बिजली चली गई है तो यह चर्चा का विषय बन गया। उत्तरी ग्रिड में कुछ खराबी आई। जिसके चलते उत्तर प्रदेश, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, हरियाणा में एक साथ बिजली चली गई। इस पावर कट के चलते करीब 36 करोड़ लोग प्रभावित हुए।

बिजली के गुल होने की वजह से इसका सीधे तौर पर असर रेल यातायात पर पड़ा। कई ट्रेनों को रोकना पड़ गया। दिल्ली मेट्रो का परिचालन बाधित हुआ। लोग परेशान हो गए। भारत के इतिहास में इससे पहले इस तरह का पावर कट शायद ही लगा हो। करीब 15 घंटे तक बिजली गुल रही। देर शाम घर रोशन हुए तो कुछ देर बाद फिर बिजली गुल हो गई। काफी मशक्कत के बाद स्थिति में सुधार हुआ।

व्यवस्था को लेकर सवाल उठे, कमेटी बनी जिसने बताया कि 2012 के दौरान बिजली का कोई ऑडिट न होने की वजह से यह स्थिति पैदा हुई थी। इससे 48,000 मेगावॉट का नुकसान हुआ था। इतने बड़े स्तर पर पावर कट की वजह सभी स्टेशनों का काम न करना था। पावर फेलियर के दौरान महज चार सब स्टेशन ही काम कर रहे थे। लोड बढ़ा तो ग्रिड फेल हो गए थे।

तब से अब तक कुछ बदलाव जरूर हुए हैं। महत्वपूर्ण सुधारों ने भारत के ट्रांसमिशन नेटवर्क को दुनिया के सबसे बड़े एकीकृत ग्रिड में बदल दिया है। यह उन्नत प्रणाली ग्रिड-इंडिया के लोड को पुनर्वितरित करके संतुलन बनाए रखने में सक्षम बनाती है। भारत ने थर्मल, न्यूक्लियर, हाइड्रो, सोलर पावर के जरिए खुद को आत्मनिर्भर बनाया और क्रम अब भी जारी है। वितरण व्यवस्था में लगातार सुधार हो रहा है। 2024 में संसद में इस मसले पर श्वेत पत्र भी टेबल किया गया। श्वेत पत्र में उस दौरान हुई अनियमितताओं को रेखांकित किया गया था।

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