January 10, 2025
Uttar Pradesh

संभल में कदम-कदम पर बसता इतिहास, ‘तोता-मैना की कब्र’ और ‘बाबरी का कुआं’ भी है शामिल

History resides at every step in Sambhal, including ‘Tota-Maina’s Grave’ and ‘Babri’s Well’

संभल, 24 दिसंबर। उत्तर प्रदेश का संभल इन दिनों लगातार मंदिर मिलने की वजहों से सुर्खियों में बना हुआ है। हालांकि, संभल में कई ऐतिहासिक धरोहरें भी मौजूद हैं, जिनमें ‘तोता-मैना की कब्र’ और ‘बाबरी का कुआं’ शामिल है। ये ऐतिहासिक धरोहरें इस शहर के इतिहास को बयां कर रही हैं।

दरअसल, सदर कोतवाली क्षेत्र के कमालपुर सराय गांव में ‘तोता-मैना की कब्र’ मौजूद है। इसके अलावा ‘तोता-मैना की कब्र’ से कुछ ही दूरी पर ‘बाबरी कुआं’ भी मौजूद है, जिसे चोरों के कुएं के नाम से जाना जाता है।

बताया जाता है कि यह जगह पृथ्वीराज चौहान के समय की है। चौहान वंश के समय संभल पृथ्वीराज चौहान की राजधानी हुआ करती थी।

कमालपुर सराय के स्थानीय निवासी ने बताया कि जिस जगह कुआं मौजूद है, वह पूरा क्षेत्र जंगल में आता है। इस जगह पर कोई भी शख्स शाम चार बजे के बाद नहीं रुकता था और चोरों ने ही इस जगह को अपना ठिकाना बना लिया। इसी वजह से इसका नाम चोरों का कुआं पड़ गया।

एक अन्य निवासी ने बताया कि आल्हा-ऊदल की लड़ाई इसी क्षेत्र में हुई थी। यहां कई ऐतिहासिक धरोहरें मौजूद हैं, जिसमें ‘तोता-मैना की कब्र’ भी शामिल है। इस जगह को अब अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

एक बुजुर्ग महिला ने बेला के थान के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आल्हा-ऊदल की लड़ाई में बेला यही मारी गई थी। पहले यहां पर हिंदू जाया करते थे, मगर अब मस्जिद बना ली गई है और यहां पर हिंदुओं को जाने से मना किया जाता है।

भले ही संभल एक छोटा शहर है, लेकिन पर्यटन स्थलों में इसकी अच्छी खासी हिस्सेदारी है। इस शहर के कदम-कदम में इतिहास बसता है।

उल्लेखनीय है कि बीते कुछ समय में प्रशासन की मौजूदगी में लगातार खुदाई का काम चल रहा। अब तक कार्रवाई में कई बंद पड़े मंदिर मिले हैं।

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