N1Live National वायनाड लैंडस्लाइड पर संसद में बोले गृह मंत्री अमित शाह, ’23 जुलाई को ही भारत सरकार ने अर्ली वार्निंग दी थी’
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वायनाड लैंडस्लाइड पर संसद में बोले गृह मंत्री अमित शाह, ’23 जुलाई को ही भारत सरकार ने अर्ली वार्निंग दी थी’

Home Minister Amit Shah said in Parliament on Wayanad landslide, 'Government of India had given early warning on 23rd July itself.'

नई दिल्ली, 31 जुलाई । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में केरल के वायनाड में हुई भूस्खलन को लेकर बुधवार को अपनी बात रखी। उन्होंने इस घटना में मारे गए लोगों के परिवार वालों के प्रति संवेदना व्यक्त की। अमित शाह ने कहा कि इस घटना में जितने भी लोग हताहत हुए हैं और घायल हुए हैं, उन सभी के परिवारजनों के साथ मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।

उन्होंने केरल की लेफ्ट सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मैं सदन के सामने स्पष्ट करना चाहता हूं कि 23 जुलाई को केरल सरकार को अर्ली वार्निंग भारत सरकार की ओर से दी गई थी, सात दिन पहले ही, फिर 24 को, 25 को भी दी गई थी। 26 जुलाई को बताया गया कि 20 सेंटीमीटर से ज्यादा वर्षा होगी, लैंडस्लाइड होने की संभावना है, मिट्टी भी गिर सकती है और लोग इसमें दबकर मर भी सकते हैं। मैं इस पर कुछ बोलना नहीं चाहता था, मगर भारत सरकार के अर्ली वार्निंग सिस्टम पर सवाल उठाए गए, इसलिए, मैं कहता हूं कि प्लीज लिसन अस, प्लीज लिसन अस, मत चिल्लाइए, प्लीज रीड इट… जो वार्निंग भेजी गई है, उसे पढ़िए जरा।”

उन्होंने कहा कि इस देश में कई राज्य सरकारें ऐसी हैं, जिन्होंने इस प्रकार की वार्निंग का उपयोग करके ‘शून्य हताहत आपदा प्रबंधन’ किया है। ओडिशा में जब नवीन बाबू की सरकार थी, तो हमने सात दिन पहले साइक्लोन का अलर्ट भेजा, सिर्फ एक व्यक्ति की मृत्यु हुई, वो भी गलती से। गुजरात सरकार को हमने तीन दिन पहले साइक्लोन का अलर्ट भेजा, एक पशु भी नहीं मरा।”

गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि भारत सरकार ने 2014 के बाद अर्ली वार्निंग सिस्टम के लिए 2,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं और इसे साझा किया जाता है। सात दिन पहले हर राज्य को सूचना भेजी जाती है। वो सूचना वेबसाइट पर सबके लिए उपलब्ध है, यहां उपस्थित माननीय सांसदों के लिए भी उपलब्ध है। कई राज्यों ने इसका उपयोग भी किया है और परिणाम भी आया है। लेकिन, कई लोग तो यहां की साइट ही नहीं खोलते हैं, विदेशों की खोलते हैं।

उन्होंने कहा कि अर्ली वार्निंग सिस्टम के तहत, 23 तारीख को मेरे ही अनुमोदन से 9 एनडीआरएफ की टीमें केरल के लिए रवाना हो गई थीं कि वहां लैंडस्लाइड हो सकती है। मैं पूछना चाहता हूं कि केरल सरकार ने क्या किया? वहां से लोगों को शिफ्ट क्यों नहीं किया गया, कौन रोक रहा था। नरेंद्र मोदी जी 2014 में प्रधानमंत्री बने, 2016 से अर्ली वार्निंग सिस्टम का प्रोजेक्ट चालू हुआ और 2023 तक दुनिया का सबसे आधुनिक अर्ली वार्निंग सिस्टम भारत में है। इसमें सात दिन पहले अनुमान देने वाले दुनिया में 4 ही देश हैं, जिनमें से एक भारत है।

उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष ने कहा कि आपदा के पैसे रिलीज करने का अधिकार राज्य के पास नहीं है, ये गलत है। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि एसडीआरएफ में 10% राशि कोई भी राज्य अपने हिसाब से जारी कर सकता है। 90 प्रतिशत राशि खर्च गाइडलाइंस के तहत आपदा के लिए भारत सरकार की परमिशन लेने की जरुरत नहीं।

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