December 17, 2025
National

संघर्ष, त्याग, अटूट दोस्ती की मिसाल ‘होमबाउंड’ : कोरोना-काल में घटी असल घटना से प्रेरित है ऑस्कर के लिए शॉर्टलिस्ट फिल्म

‘Homebound’, an example of struggle, sacrifice, and unbreakable friendship: The Oscar-shortlisted film is inspired by a real-life incident during the COVID-19 pandemic.

ईशान खट्टर, जाह्नवी कपूर और विशाल जेठवा स्टारर फिल्म ‘होमबाउंड’ ऑस्कर के लिए शॉर्टलिस्ट हो चुकी है और फिल्म ने विश्वभर की 15 बेहतरीन फिल्मों में जगह बनाई है।

फिल्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्यार मिला और कई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में स्पेशल स्क्रीनिंग का मौका मिला। फिल्म की तारीफ हर तरफ हो रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि फिल्म की कहानी कोरोना के समय की मार्मिक घटना से जुड़ी है, जिसको लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स तक में लेख छपा था और उसी से प्रेरित होकर फिल्म को बनाया गया।

फिल्म की कहानी लॉकडाउन के दौरान सूरत में फंसे दो युवा प्रवासी मजदूरों, अमृत और सैय्यूब की कहानी से प्रेरित है। कोरोना महामारी के वक्त जहां पूरा देश घरों में बंद था और एक दूसरे से दो गज की दूरी बनाकर जी रहा था, तब उत्तर प्रदेश के देवरी गांव के सैय्यूब मोहम्मद और अमृत प्रसाद ने सच्ची दोस्ती की मिसाल पेश की थी। महामारी के समय दोनों ही दोस्त गुजरात से वापस अपने गांव लौट रहे थे लेकिन बीच रास्ते में अमृत की तबीयत खराब हो जाती है और ट्रक का ड्राइवर अमृत और सैय्यूब मोहम्मद दोनों को ट्रक से नीचे उतार देता है लेकिन सैय्यूब हार नहीं मानता और बीहड़ रास्ते पर एंबुलेंस के जरिए अमृत को अस्पताल पहुंचाता है लेकिन इलाज के दौरान अमृत की मौत हो जाती है।

ये घटना एक फोटो की वजह से वायरल हो जाती है, जहां बीच रास्ते में सैय्यूब मोहम्मद अपने दोस्त अमृत का सिर अपनी गोद में लिए बैठे हैं और उनकी आंखें नम हैं। फोटो वायरल होने के बाद न्यूयॉर्क टाइम्स में काम कर रहे भारतीय कश्मीरी पत्रकार बशारत पीर ने फोटो पर मार्मिक लेख लिखा और लेख को ‘ए फ्रेंडशिप, ए पैंडेमिक एंड ए डेथ बिसाइड द हाइवे’ नाम दिया गया।

लेख के वायरल होते ही हर किसी ने सैय्यूब मोहम्मद और अमृत प्रसाद की दोस्ती को संघर्ष, त्याग, और अटूट दोस्ती का टाइटल दिया।

इस घटना को लेख से प्रेरित होकर नीरज घायवान ने निर्देशित किया, जो पहले ही ‘मसान’ जैसी फिल्में बना चुके हैं। फिल्म ‘होमबाउंड’ में नीरज घायवान ने गरीबी, जातिप्रथा और व्यवस्था की खामियों को फिल्म के जरिए उजागर किया। फिल्म में दोनों दोस्तों को पुलिस की सरकारी नौकरी की तैयारी करते दिखाया गया है और इस दौरान छोटी जाति का होने की वजह से उन्हें क्या-क्या झेलना पड़ा था, उस मार्मिक पीड़ा को पर्दे पर अच्छे तरीके से उजागर किया गया है।

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