दिल्ली पुलिस ने मानव तस्करी गिरोह के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए कुल 6 बच्चों को बरामद किया है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक, ये गैंग दो से तीन महीने के नवजात शिशुओं को चोरी करके बेचने का काम करता था।
पुलिस उपायुक्त (दक्षिण पूर्वी) डॉ. हेमंत तिवारी ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि इस घटनाक्रम की शुरुआत 22 अगस्त को हुई, जब पुलिस को दिल्ली के एक बस स्टैंड से एक 6 माह के बच्चे के गायब होने की सूचना मिली थी।
अधिकारी के अनुसार, शिकायत मिलने के बाद बस स्टैंड के सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई, जिसमें दो संदिग्ध बच्चे को ले जाते दिखे। हालांकि, बस स्टैंड से बाहर निकलने के बाद उनकी कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं मिली। इसके बाद पुलिस ने डंप डेटा का विश्लेषण किया और संदिग्धों को चिह्नित कर उत्तर प्रदेश के फतेहाबाद के पिनहट गांव में छापेमारी की। वहां से मुख्य आरोपी वीरभान और उसके ससुर कालीचरण को गिरफ्तार किया। तलाशी के दौरान एक संदिग्ध फोन भी बरामद किया है।
पूछताछ में पता चला कि वीरभान और कालीचरण ने अपने रिश्तेदार रामबरन के कहने पर बच्चा चोरी किया था और उसे आगरा के केके नर्सिंग होम में सौंप दिया। इसके बाद पुलिस ने चतुराई दिखाते हुए नर्सिंग होम के डॉक्टर कमलेश को दबोच लिया। साथ ही, पुलिस ने सुंदर नामक एक अन्य अहम आरोपी को गिरफ्तार किया, जो इस रैकेट का मास्टरमाइंड था। सुंदर मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के रूप में काम करता था और झोलाछाप डॉक्टरों को दवाइयां सप्लाई करता था। वह गर्भवती महिलाओं को निशाना बनाता था और उनके बच्चों को गैरकानूनी तरीके से बेच देता था।
पुलिस उपायुक्त के अनुसार, पुलिस ने सुंदर की निशानदेही पर प्रीति और कृष्णा नाम की दो बहनों को पकड़ा है, जो अपने घर में ऐसी महिलाओं की डिलीवरी करवाती थीं। इनके पास से 48 घंटे में गायब हुआ बच्चा भी बरामद किया गया।
पूछताछ में पता चला कि इस गिरोह ने नैनीताल के एक दंपति को 11 महीने की एक बच्ची बेची थी, जिसे पुलिस ने रिकवर कर लिया। इसके अलावा, आगरा से दो और दो महीने के बच्चों को बरामद किया गया है।
पुलिस उपायुक्त (दक्षिण पूर्वी) डॉ. हेमंत तिवारी ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने इस कार्रवाई के दौरान कुल 6 बच्चों को बरामद किया है।
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