शिमला, 19 जुलाई भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (सीआईटीयू) ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की “श्रम विरोधी” नीतियों के खिलाफ राज्य के सभी जिला और ब्लॉक मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया। श्रमिकों ने हाल ही में पेश किए गए चार श्रम संहिताओं को वापस लेने की मांग की।
सैकड़ों प्रदर्शनकारी उपायुक्त कार्यालय के बाहर एकत्र हुए और केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए। विरोध प्रदर्शन के दौरान सीआईटीयू के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा, “मोदी सरकार की नवउदारवादी और पूंजीवाद समर्थक नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी और असमानता के मुद्दे बदतर हो रहे हैं।”
मेहरा ने कहा, “बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कमजोर होने से लोग प्रभावित हो रहे हैं। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं, जिससे लोगों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।”
उन्होंने सभी श्रमिकों के लिए 26,000 रुपये प्रति माह न्यूनतम वेतन और सुनिश्चित पेंशन, विद्युत (संशोधन) विधेयक को रद्द करने, अंशकालिक, बहुउद्देश्यीय, बहुकार्य, अस्थायी, आकस्मिक, निश्चित अवधि और आउटसोर्सिंग प्रणालियों में संविदा श्रमिकों को नियमित करने, शहरी क्षेत्रों में 600 रुपये प्रति दिन की दर से एमजी-एनआरईजीए के तहत 200 दिनों के काम का प्रावधान करने, इसके विस्तार और अन्य श्रमिकों के सामने आने वाली समस्याओं के ठोस समाधान की भी मांग की।
उन्होंने आगे कहा कि सार्वजनिक उद्यमों और निवेशों के निजीकरण, विभिन्न योजनाओं और स्ट्रीट वेंडर्स अधिनियम में संशोधन जैसे विभिन्न मुद्दों के माध्यम से भाजपा सरकार की “मजदूर विरोधी नीतियों” का पर्दाफाश हो गया है।