N1Live National मैंने चुनाव आयोग को पत्र के साथ वॉयस नोट साझा किया है : रवींद्र पाटिल
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मैंने चुनाव आयोग को पत्र के साथ वॉयस नोट साझा किया है : रवींद्र पाटिल

I have shared the voice note with the letter to the Election Commission: Ravindra Patil

मुंबई, 20 नवंबर । महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की 288 विधानसभा सीटों के लिए बुधवार को वोटिंग हो रही है। वोटिंग से पहले पूर्व आईपीएस अधिकारी रवींद्र नाथ पाटिल ने एनसीपी (शरद पवार गुट) की नेता सुप्रिया सुले और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले पर क्रिप्टोकरेंसी घोटाले का आरोप लगाया है। इसके बाद राजनीति के गलियारों में चर्चा तेज हो गई और भाजपा ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महाविकास अघाड़ी को घेरना शुरू कर दिया।

इन सबके बीच बुधवार को पूर्व आईपीएस अधिकारी रवींद्र पाटिल ने एक वीडियो जारी कर अपनी बात रखी है। पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा है कि मुझे महाराष्ट्र चुनाव में बिटकॉइन के पैसे के दुरुपयोग के बारे में जानकारी मिली है, और इसे चुनावी फंडिंग के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जा रहा है। मैंने जो वॉयस नोट्स शेयर किए हैं और जो जानकारी दी है, उसके बारे में मुझे लगता है कि सुप्रिया सुले और नाना पटोले ने इस बारे में बयान दिया है।

उन्होंने आगे कहा कि मैं जो कहना चाहता हूं, वह यह है कि 17 तारीख से पहले जब मुझे गौरव मेहता से वॉयस नोट्स मिले, मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मेरी किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी भी नहीं थी। मैंने बस इन वॉयस नोट्स की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने और उनकी पूरी जांच करने के बाद मीडिया को ये प्रस्तुत किए हैं। मैंने चुनाव आयोग को पत्र दिखाया है और सभी वॉयस नोट्स साझा किए हैं, जिसमें मामले की निष्पक्ष जांच का अनुरोध किया गया है।

पूर्व अधिकारी के दावों के बीच सुप्रिया सुले ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा है कि राज्य में मतदान के कुछ घंटों पहले मतदाताओं को गुमराह करने के लिए झूठी सूचना फैलाने के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। हमने बिटकॉइन के दुरुपयोग के झूठे आरोपों के खिलाफ भारतीय निर्वाचन आयोग और साइबर अपराध विभाग में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई है। इसके पीछे की मंशा स्पष्ट है, यह निंदनीय है।

इस मामले पर भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर और चिंताजनक तथ्य प्रकाश में आया है, जो महाविकास अघाड़ी का असली चेहरा धीरे-धीरे उजागर कर रहा है। इससे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव को संपन्न कराने को लेकर गंभीर प्रश्न खड़ा हो रहा है।

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