N1Live National ‘मैंने बाला साहेब ठाकरे को बता कर शिवसेना छोड़ी थी’, दलबदलुओं पर राज ठाकरे का तंज
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‘मैंने बाला साहेब ठाकरे को बता कर शिवसेना छोड़ी थी’, दलबदलुओं पर राज ठाकरे का तंज

'I left Shiv Sena after telling Balasaheb Thackeray', Raj Thackeray's taunt on turncoats

मुंबई, 7 फरवरी । निर्वाचन आयोग द्वारा अजीत पवार के गुट वाली शिवसेना को असली शिवसेना करार दिए जाने के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

राज ठाकरे ने अजीत पवार पर तीखा हमला बोला। इसके अलावा उन्होंने शिवसेना प्रमुख व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भी आड़े हाथों लिया।

एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि आज से कुछ साल पहले 2005 में वो पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर जोशी के साथ शिवसेना के असली संस्थापक पितामह बालासाहेब ठाकरे से मिलने गए थे।

राज ठाकरे ने कहा,” उस वक्त बाला साहेब इस बात को समझ चुके थे कि मैं अब शिवसेना के साथ नहीं रहूंगा। मैं उनसे मिलने गया था। उन्हें इस बात का अंदाजा हो चुका था कि अब मेरी विदाई का समय आ चुका है। तब बाला साहेब ने मुझे स्नेहपूर्वक अपनी बांहों में ले लिया और कहा कि तुम जाओ अब। यह मेरी उनसे आखिरी मुलाकात थी।”

बाद में, राज ठाकरे ने कहा कि मीडिया ने उनसे तब पूछा था कि जब शिवसेना को छगन भुजबल, नारायण राणे और बाद में एकनाथ शिंदे के विद्रोह का सामना करना पड़ा था, तब उन्होंने खुद की पार्टी से भी नाता तोड़ लिया था।”

राज ठाकरे ने कहा,” मैंने स्पष्ट कर दिया था कि मैंने उनसे विद्रोह नहीं किया और ना ही किसी के पीठ पर छुरा घोंपकर किसी को धोखा दिया। मैंने किसी वरिष्ठ नेता का अपमान नहीं किया और ना ही किसी पार्टी पर कब्जा किया। बाकी सभी लोग सत्ता के लिए दूसरे दलों में शामिल हो गए, लेकिन मैंने बाला साहेब ठाकरे को सूचित किए जाने के बाद पार्टी छोड़ी थी। इसके बाद मैंने किसी भी दल का दामन नहीं थामा, बल्कि साल 2006 में मैंने आप लोगों के आशीर्वाद से अपनी पार्टी का गठन किया।”

वहींं, भुजबल ने 1991 में कांग्रेस का दामन थाम लिया। इसके बाद वो 1999 में शरद पवार द्वारा गठित पार्टी एनसीपी में शामिल हो गए। राणे 2005 में कांग्रेस में शामिल हो गए। वहीं, 2019 में भाजपा में शामिल होने से पहले उन्होंने अपने खुद के संगठन की भी नींव रखी। इस बीच शिंदे ने शिवसेना से अलग होकर तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार गिरा दी। इसके बाद वो साल 2022 में मुख्यमंत्री बन गए।

वहीं, राज ठाकरे ने अपने एक्स अकाउंट पर कहा, “किसी बुजुर्ग चाचा (शरद पवार) द्वारा स्थापित पार्टी पर किसी और (ईसीआई) के बल पर कब्ज़ा करना आसान है, लेकिन किसी वरिष्ठ नेता का अनादर किए बिना अपने बल पर अपनी पार्टी स्थापित करना आसान नहींं है। इसके लिए संघर्ष और धैर्य की आवश्यकता होती है। राज ठाकरे की तरह इसके लिए साहस की आवश्यकता होती है।”

राज ठाकरे ने अपने दूसरे पोस्ट में कहा, ”मैंने 6 मई 2023 को रत्नागिरि में अजीत पवार के बारे में जो भविष्यवाणी की थी, वो आज वास्तविकता में तब्दील हो गई।”

वहीं, एमएनएस के ट्वीट में कहा गया है, “इसके बाद भी हमें यह जानकर गर्व की अनुभूति होती है कि हम उस राज ठाकरे की अगुवाई में काम कर रहे हैं, जिन्होंने बिना किसी का कुछ हड़पे और बिना किसी वरिष्ठ नेता का अपमान किए शून्य से अपना राजनीतिक अस्तित्व स्थापित किया।”

विपक्षी महाविकास अघाड़ी के सहयोगी दल कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), एमएनएस और एनसीपी (एसपी) ने ईसीआई के फैसले की आलोचना की और अब शरद पवार के नेतृत्व वाले समूह को नए नाम और पार्टी चिन्ह के लिए अपने विकल्प प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

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