N1Live Entertainment मैं महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर बात करने का सार्थक तरीका खोज रही थी : संध्या सूरी
Entertainment

मैं महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर बात करने का सार्थक तरीका खोज रही थी : संध्या सूरी

I was looking for a meaningful way to talk about violence against women: Sandhya Suri

साल 2025 की सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म श्रेणी के लिए यूनाइटेड किंगडम की आधिकारिक प्रविष्टि ‘संतोष’ को लेकर निर्माता और लेखिका संध्या सूरी ने आईएएनएस से बात की। इस दौरान उन्होंने बताया कि वह महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर बात करने का सार्थक तरीका खोज रही थीं, जिसे उन्होंने फिल्म के माध्यम से व्यक्त किया।

संध्या सूरी ने कहा, “जब मैं भारत में रिसर्च कर रही थी और विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के साथ काम कर रही थी, तो मुझे एक तस्वीर मिली। निर्भया मामले के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए और यह दिल्ली की एक तस्वीर थी, जिसमें गुस्साई महिला प्रदर्शनकारियों की भीड़ थी, वे गुस्से में थीं और महिला पुलिस अधिकारियों की टीम उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर रही थी। उनमें से एक के चेहरे पर ऐसा भाव था, जिसे देखकर मैं आश्चर्यचकित हो गई।”

उन्होंने आगे कहा, “उनके और विरोध करने वालों के बीच कितनी खाई है, उनकी वर्दी में कितनी ताकत है और एक आम महिला के रूप में सुरक्षित महसूस न कर पाने की कितनी बेबसी है, ये मैंने देखा। जब मैंने महिला पुलिस कांस्टेबलों पर रिसर्च करना शुरू किया, तो मुझे ‘अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति’ की सरकारी योजना के बारे में पता चला, जिसमें मृतक पुलिस अधिकारियों के पात्र आश्रित उनकी नौकरी विरासत में पा सकते हैं।”

उन्होंने बताया कि कई विधवाओं के साथ समय बिताने पर पता चला कि कुछ विधवाएं पहले बहुत सुरक्षित जीवन जी रही थीं, पुलिस प्रशिक्षण शुरू होने तक वे अपने पति या रिश्तेदारों के बिना घर से बाहर भी नहीं निकलती थीं।

उन्होंने कहा, “मैं इस यात्रा से बहुत प्रभावित हुई, गृहिणी से विधवा, फिर पुलिसवाली। यह एक ऐसी यात्रा थी, जिसके बारे में मैं लिखना चाहती थी और जिसे मैं देखना चाहती थी।”

फिल्म ‘संतोष’ के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि यह फिल्म एक युवा विधवा के इर्द-गिर्द घूमती है, जो ग्रामीण भारत में पुलिस कांस्टेबल के रूप में पति की मौत के बाद नौकरी पाती है और एक हत्या की जांच करती है। यह पहली बार है जब यूके ने इस श्रेणी के लिए हिंदी भाषा की फिल्म का चयन किया है।

स्नातक में गणित विषय के साथ पढ़ाई करने वाली सूरी कहती हैं कि वह फिल्मों का उस तरह से विश्लेषण नहीं करना चाहती थीं, जैसा उन्होंने अंग्रेजी साहित्य का किया था।

जर्मनी में अंग्रेजी की शिक्षिका रह चुकीं संध्या ने कहा, “फिल्में बनाना मुझे उत्साहित करता था, उनका विश्लेषण करना नहीं। इसलिए मैंने फिल्म स्कूल जाने का फैसला किया, जिससे कुछ अलग करने का रास्ता खुला रह गया।”

उन्होंने बताया कि गणित में उनकी पृष्ठभूमि ने उन्हें सोचने का एक अनूठा तरीका दिया, जिसे उन्होंने फिल्म निर्माण और फिल्म की कहानी को एक नए नजरिए से देखने के लिए इस्तेमाल किया।

यूके में नेशनल फिल्म एंड टेलीविजन स्कूल (एनएफटीएस) में डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण में ट्रेनिंग लेने के बाद निर्देशक संध्या ने ‘आई फॉर इंडिया’, ‘अराउंड इंडिया विद ए मूवी कैमरा’ और शॉर्ट फिल्म ‘द फील्ड’ समेत कई डॉक्यूमेंट्री बनाए। ‘संतोष’ पर उन्होंने काम 2016 में शुरू किया था।

उन्होंने बताया कि उन्हें जब संतोष के ऑस्कर में जाने की खबर मिली तो वह काफी उत्साहित हो गई थीं। उन्होंने बताया, “जब मैंने खबर सुनी कि ‘संतोष’ को कान फिल्म महोत्सव और बाद में ऑस्कर में आधिकारिक प्रतियोगिता के लिए चुना गया है, तो मैं शॉपिंग पर निकली थी और खबर सुनते ही मैंने शॉपिंग छोड़ दी और खुशी से चिल्ला पड़ी। मेरी 11 साल की बेटी भी उस वक्त मेरे साथ थी।”

संध्या ने अगले प्रोजेक्ट के बारे में बताया कि वह एक डायस्टोपियन दुनिया पर आधारित है। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि फिल्म निर्माण के दौरान सीखे गए सभी सबक काम आएंगे। इसका आधार भी ‘संतोष’ की तरह ही दृढ़ है।”

डॉक्यूमेंट्री को मिल रहे कम तवज्जो को लेकर उन्होंने कहा, “मेरे पास इस समस्या का कोई समाधान नहीं है, लेकिन मैं चाहती हूं कि डॉक्यूमेंट्री को एक अद्भुत कला के रूप में सम्मान दिया जाए, साथ ही इसे ‘किसी खास विषय पर’ फिल्म के रूप में भी सम्मान दिया जाए।”

यूके और आयरलैंड में फिल्म रिलीज करने वाले सिविक स्टूडियो की सीईओ और संस्थापक अनुष्का शाह ने कहा, “एक ब्रिटिश-भारतीय निर्देशक के रूप में सूरी ने मुद्दे और कहानी दोनों को स्क्रीन पर शानदार तरीके से पेश किया है।”

Exit mobile version