यरूशलम, इजरायल रक्षा बलों (आईडीएफ) ने सोमवार को पुष्टि की कि गाजा में एक हमले में अल जजीरा के पत्रकार अनस अल-शरीफ की मौत हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि वह ‘हमास में एक आतंकवादी सेल का प्रमुख’ था और चेतावनी दी कि ‘प्रेस आतंकवाद के लिए ढाल नहीं है।’
अल-शरीफ अपने साथियों, इब्राहिम जहीर, मोमेन अलीवा और मोहम्मद नौफल, के साथ मारा गया।
एक बयान में, सेना ने कहा, “अल-शरीफ हमास के एक आतंकवादी समूह का प्रमुख था, और उसने इजरायली नागरिकों और आईडीएफ सैनिकों पर रॉकेट हमले किए थे। गाजा से मिली खुफिया जानकारी और दस्तावेज में रोस्टर, टेररिस्ट ट्रेनिंग लिस्ट और वेतन रिकॉर्ड शामिल हैं। यह साबित करते हैं कि वह अल जजीरा से जुड़ा एक हमास कार्यकर्ता था।”
आईडीएफ ने आगे कहा कि अक्टूबर में उसने गाजा में जब्त की गई सामग्री प्रकाशित की थी, जिससे अल-शरीफ के ‘हमास से सैन्य संबंध’ की ‘स्पष्ट रूप से’ पुष्टि हुई थी।
सेना ने आगे कहा, “ये दस्तावेज एक बार फिर उसकी आतंकवादी गतिविधि की पुष्टि करते हैं, जिसे अल जजीरा ने नकारने की कोशिश की।”
इजरायली सेना ने कहा कि जब्त किए गए दस्तावेजों में कर्मियों की टेबल्स, टेररिस्ट ट्रेनिंग कोर्स की लिस्ट, टेलीफोन डायरेक्टरी और सैलरी रिकॉर्ड शामिल हैं, जो “स्पष्ट रूप से साबित करते हैं कि वह गाजा पट्टी में हमास आतंकवादी संगठन के लिए एक आतंकवादी के रूप में काम करता था।”
उन्होंने दावा किया कि इन दस्तावेज़ों से यह भी पता चलता है कि “आतंकवादी का कतर के मीडिया नेटवर्क अल जज़ीरा में जुड़ाव था।”
इजरायल ने कहा कि हमले से पहले, नागरिक हताहतों की संख्या कम करने के लिए सटीक हथियारों का इस्तेमाल, हवाई निगरानी और अतिरिक्त खुफिया आकलन जैसे उपाय किए गए थे।
अल-शरीफ अपनी मौत से पहले सोशल मीडिया पर एक्टिव थे और गाजा में इजरायली बमबारी के बारे में ‘एक्स’ पर पोस्ट कर रहे थे।
उनकी मौत की खबर आने के बाद, उनके सहयोगियों ने उनके अकाउंट से एक पहले से लिखा हुआ संदेश पोस्ट किया, जिसमें लिखा था: “अगर मेरे ये शब्द आप तक पहुँचें, तो जान लें कि इजरायल मुझे मारने और मेरी आवाज़ को खामोश करने में कामयाब हो गया है।”
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