N1Live National मनी-लॉन्ड्रिंग जांच अगर 365 दिनों से अधिक हो जाती है, तो जब्त की गई संपत्ति वापस की जानी चाहिए : दिल्‍ली हाईकोर्ट
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मनी-लॉन्ड्रिंग जांच अगर 365 दिनों से अधिक हो जाती है, तो जब्त की गई संपत्ति वापस की जानी चाहिए : दिल्‍ली हाईकोर्ट

If money-laundering investigation exceeds 365 days, seized assets must be returned: Delhi High Court

नई दिल्ली, 2 फरवरी । दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि यदि धन-शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के तहत जांच अपराध से संबंधित किसी भी कार्यवाही के बिना 365 दिनों से अधिक द‍िनोें तक जारी रहती है, तो जब्‍त की गई संपत्ति संबंधित व्यक्ति को वापस कर दिया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति नवीन चावला ने कहा कि निर्दिष्ट अवधि के बाद इस तरह की जब्ती जारी रखना भारत के संविधान के अनुच्छेद 300ए का उल्लंघन होगा।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के इस तर्क को खारिज करते हुए कि पीएमएलए की धारा 8(3)(ए) 365 दिनों के बाद परिणाम का प्रावधान नहीं करती है, अदालत ने कहा कि स्वाभाविक परिणाम जब्ती की चूक है, और संपत्ति वापस की जानी चाहिए।

इस मामले में भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) के अंतरिम समाधान पेशेवर के रूप में नियुक्त महेंद्र कुमार खंडेलवाल शामिल थे।

ईडी ने बीपीएसएल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अगस्त 2020 में खंडेलवाल के परिसर से दस्तावेज, रिकॉर्ड, डिजिटल उपकरण और आभूषण जब्त किए।

खंडेलवाल, जिनका नाम एफआईआर में नहीं था, ने अपने खिलाफ किसी भी शिकायत के बिना 365 दिनों से अधिक समय के बाद जब्त की गई वस्तुओं को वापस करने की मांग की, लेकिन ईडी ने इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति चावला ने ईडी को जब्त किए गए दस्तावेज़, डिजिटल उपकरण, संपत्ति और अन्य सामग्री खंडेलवाल को वापस करने का निर्देश दिया, जब तक कि सक्षम अदालत अन्यथा आदेश न दे।

अदालत ने कहा कि यदि ईडी हिरासत में जांच करना चाहता है या खंडेलवाल को गिरफ्तार करना चाहता है, तो वह अदालत के समक्ष उचित आवेदन दायर कर सकता है, जो उसने नहीं किया है।

चूंकि 365 दिन की अवधि समाप्त हो चुकी थी, अदालत ने माना कि जब्त की गई वस्तुएं वापस की जानी चाहिए।

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