महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने 31 अक्टूबर से 7 नवंबर तक सभी स्कूलों में ‘वंदे मातरम’ का पूरा संस्करण गाने का निर्देश दिया है। इस फैसले का सपा विधायक रईस शेख ने विरोध किया और इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया। उनके बयान पर अब आध्यात्मिक आघाडी प्रमुख आचार्य तुषार भोसले ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
भोसले ने कहा कि राज्य के सभी मदरसों में ‘वंदे मातरम’ गाना अनिवार्य किया जाए और जो इसका पालन न करें, उनकी सरकारी फंडिंग बंद की जाए। उन्होंने रईस शेख पर निशाना साधते हुए कहा कि इस देश में रहना है तो ‘वंदे मातरम’ गाना होगा।
समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक रईस शेख ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे और शिक्षा राज्य मंत्री पंकजा भोयर को पत्र लिखकर शिक्षा विभाग के स्कूलों में ‘वंदे मातरम’ गाने के निर्देश का विरोध किया था।
शेख का कहना है कि शिक्षा विभाग का यह निर्णय विद्यार्थियों पर धार्मिक विचार थोपने जैसा है और इससे शिक्षा के माहौल में अनावश्यक तनाव पैदा होगा।
रईस शेख ने कहा कि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित ‘वंदे मातरम’ का ऐतिहासिक और साहित्यिक महत्व है, किंतु इसे गाने के लिए बाध्य करना नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित ‘जन गण मन’ भारत का आधिकारिक राष्ट्रगान है।
गौरतलब है कि स्कूल शिक्षा विभाग ने 27 अक्टूबर को एक परिपत्र जारी किया, जिसके तहत निर्देश दिया कि 31 अक्टूबर से 7 नवंबर तक सभी स्कूलों में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ का पूरा संस्करण गाया जाएगा।
यह पहल बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित इस गीत के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में की जा रही है। विभाग ने स्कूलों को निर्देश दिया कि इस अवधि में ‘वंदे मातरम’ के इतिहास और महत्व को दर्शाने वाली प्रदर्शनी भी आयोजित की जाए, ताकि छात्रों में राष्ट्रभक्ति और सांस्कृतिक गौरव की भावना विकसित हो सके।


Leave feedback about this