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18 राज्यों के पंचायत प्रतिनिधियों को मैनेजमेंट के गुर सिखा रहा आईआईएम

IIM is teaching management skills to Panchayat representatives of 18 states

नई दिल्ली, 2 सितंबर । इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) देशभर के 18 राज्यों की पंचायतों से जुड़े लोगों को मैनेजमेंट के गुर सिखाएगी। इसके लिए आईआईएम अमृतसर में सोमवार से चार दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत हुई।

आईआईएम द्वारा दी जा रही इस ट्रेनिंग में कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक विभिन्न राज्य शामिल हैं। आईआईएम अमृतसर व आईआईएम बीजी (बोधगया) की साझेदारी में 2 से 6 सितंबर तक प्रबंधन विकास कार्यक्रम (एमडीपी) आयोजित किया जा रहा है।

आईआईएम अमृतसर में दस राज्यों की पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधि और पदाधिकारी शामिल हैं। इन राज्यों में अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर (केंद्रशासित प्रदेश), मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं।

राज्यों के पंचायत से जुड़े प्रतिभागी आईआईएम अमृतसर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। वहीं, आईआईएम बीजी से भी इसी अवधि में जिला पंचायतों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, पंचायत समितियों के प्रमुख, सरपंच और विभिन्न पंचायत अधिकारी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।

यहां आठ राज्यों बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधि एवं पदाधिकारी प्रशिक्षण ले रहे हैं।

केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के मुताबिक इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का लक्ष्य पंचायत प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों के नेतृत्व, प्रबंधन और शासन कौशल को सुदृढ़ करना है। यह पहल स्थानीय शासन में सुधार लाने और ग्रामीण समुदायों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए पंचायतों की क्षमता बढ़ाने को लेकर है।

पांच दिन के इस कार्यक्रम में नेतृत्व, प्रबंधन, नैतिकता, ग्रामीण नवाचार, खुद के स्रोत राजस्व और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषयों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आईआईएम से ट्रेनिंग ले रहे इन प्रतिभागियों को केस स्टडी और संवादात्मक चर्चाओं में हिस्सा लेना है। इससे वे अपने समुदायों का अधिक प्रभावी ढंग से नेतृत्व करने के लिए जरूरी ज्ञान और उपकरणों से युक्त हो सकेंगे।

जमीनी स्तर पर पंचायत महत्वपूर्ण हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरी सेवाएं और शासन प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों व अधिकारियों की भूमिका उनकी संवैधानिक जिम्मेदारियों को पूरा करने और विकसित भारत की सोच में योगदान देने में महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम का उद्देश्य अपने समुदायों की बेहतर सेवा करने के लिए उनकी क्षमताओं में बढ़ोतरी करना भी है।

केंद्र सरकार के मुताबिक इस कार्यक्रम का मुख्य फोकस खुद के स्रोत राजस्व को बढ़ाने पर है। यह वित्तीय स्थिरता प्राप्त करने और पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। अपनी वित्तीय स्वतंत्रता को मजबूत करने से पंचायतें स्थानीय जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने और ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाने में सक्षम होंगी।

इसके अलावा यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को नवीनतम प्रबंधन सिद्धांतों, उपकरणों और कौशलों से भी परिचित कराता है। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य संसाधनों का प्रभावी और कुशल उपयोग सुनिश्चित करना है, जिससे पंचायतें ग्रामीण समृद्धि में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।

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