January 23, 2025
National

पद्मश्री से सम्मानित पहले शेफ इम्तियाज़ क़ुरैशी का 93 वर्ष की आयु में निधन

Imtiaz Qureshi, the first chef honored with Padma Shri, dies at the age of 93

नई दिल्ली, 16 फरवरी । विश्व विख्यात शैफ इम्तियाज कुरैशी का 93 वर्ष की उम्र में शुक्रवार को निधन हो गया। नित नए पकवान बनाना न सिर्फ उनका पेशा, बल्कि शौक भी था, जिसके बलबूते उन्होंने लखनऊ के मशहूर व्यंजन दम पुख्त को विश्व मानचित्र पर स्थान दिलवाया। यही नहीं, उनकी अप्रतिम प्रतिभा को सम्मान देते हुए उन्हें 2016 में पद्मश्री पुरस्कार दिया गया।

निरक्षर कुरैशी ने नौ साल की उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। उन्हें अपनी लंबी मूँछों और सांता क्लॉज जैसे लुक के लिए भी जाना जाता था। उन्हें अक्सर खालिस उर्दू में रसोई की कहानियाँ साझा करने सुना जा सकता था। वे नए लजीज पकवान इजाद करने के लिए मशहूर थे जिनका आइडिया उन्हें अपने साथ काम करने वाले लोगों के साथ बातचीत में मिलता था।

उन्होंंने अपने व्यंजनों की दीवानी गजल गायिका बेगम अख्तर के लिए लब-ए-महशौख नामक मिठाई इजाद की। दिल्ली के मशहूर फ्रेंच शेफ रोजर मोनकोर्ट से उन्होेने सॉस के राज जाने जो फ्रेंच खानों की खासियत हैं।

शुरुआत में कुरैशी को पहलवान बनने का खूमार चढ़ा, तो उन्होंने हाजी इश्तियाक और गुलाम रसूल के सानिध्य में रहकर पहलवानी के दांवपेंच सीखे। इसके बाद उन्होंने लखनऊ स्थित एक कंपनी में काम करना शुरू किया। खास बात यह है कि इस कंपनी ने 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान सैनिकों के लिए खाना बनाने का काम किया था।

कुरैशी को एक दफा पंडित जवाहर लाल नेहरू की सेवा करने का मौका मिला। यही नहीं, मांसहारी व्यंजनों के लिए जाने जाने वाले कुरैशी ने एक बार उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सी.पी. गुप्ता के लिए स्वादिष्ट शाकाहारी भोजन बनाकर सभी का दिल जीत लिया।

उन्होंने शाकाहारी भोजन में तुरुश-ए-पनीर, सूखे बेर और संतरे से भरे पनीर के एस्केलोप्स जैसे व्यंजनों का अविष्कार किया, जो बाद में लोगों को खूब भाए।

उनकी प्रसिद्धी जैसे-वैसे फैलती गई, वैसे-वैसे उनकी मांग में भी तेजी देखने को मिली। लखनऊ के तत्कालीन होटल क्लार्क्स अवध ने उन्हें काम पर रखा और फिर समूह के नए होटल के लिए आईटीसी होटल्स के संस्थापक अजीत हक्सर ने उन्हें चुना। उन्होंने जहां कहीं भी काम किया, वहां उनकी खूब प्रशंसा हुई।

इम्तियाज़ क़ुरैशी के निधन के साथ भारत ने एक ऐसा शेफ खो दिया है, जिसने न केवल भारतीय बढ़िया भोजन को एक नया जीवन और अपना व्यक्तित्व दिया, बल्कि निरक्षर होने के बावजूद दुनिया भर में इसके बेहतरीन और सबसे रंगीन प्रवक्ता बन गए।

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