धर्मशाला, 10 फरवरी
सरकारी अधिकारियों द्वारा सत्ता के दुरूपयोग और भ्रष्टाचार को रोकने के उद्देश्य से हिमाचल सरकार ने सभी अधिकारियों को उनके या उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर उनकी पोस्टिंग के स्थान पर जमीन, भवन और अचल संपत्ति खरीदने पर रोक लगा दी है। सक्षम अधिकारियों की अनुमति।
यह आदेश उन्हें स्थानांतरित होने के दो साल के भीतर उनकी पोस्टिंग के स्थान पर संपत्ति खरीदने से भी प्रतिबंधित करता है। संबंधित राजस्व अधिकारियों को आदेश जारी कर दिया गया है कि इस तरह के किसी भी भूमि विलेख की रजिस्ट्री नहीं की जाएगी। नए आदेशों के दायरे में आने वाले अधिकारियों में संभागीय आयुक्त, उपायुक्त, अतिरिक्त उपायुक्त, एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी और उससे ऊपर के रैंक के राजस्व कर्मचारी, एसपी, डीएसपी, वन संरक्षक, डीएफओ, उप वन रेंजर, अधीक्षण अभियंता, कार्यकारी अभियंता, सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, सहायक आबकारी एवं कराधान आयुक्त, आबकारी एवं कराधान अधिकारी, सहायक आबकारी एवं कराधान अधिकारी, आबकारी एवं कराधान निरीक्षक, जिला खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति नियंत्रक, सहायक नियंत्रक, भार एवं मापने के अधिकारी,खनन अधिकारी, औद्योगिक उत्पादन अधिकारी, उद्योग विभाग के विस्तार अधिकारी, बीडीओ, सामाजिक शिक्षा और जिला योजना अधिकारी, जेई, पंचायत सचिव, जिला श्रम अधिकारी, श्रम निरीक्षक, दुकान निरीक्षक और खाद्य निरीक्षक।
नगरपालिका समितियों और निगमों में आयुक्त, सहायक आयुक्त, कार्यकारी अभियंता, सहायक अभियंता, सचिव, कार्यकारी अधिकारी और जेई भी संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं।
इस संबंध में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने आदेश जारी किए हैं।
यदि कोई अधिकारी आदेशों का उल्लंघन करता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।
सूत्रों ने बताया कि सभी सेवाओं के लिए आचरण नियम 1964 से लागू थे। आईएएस और राज्य के प्रशासनिक अधिकारी भी इनके दायरे में आ गए थे। 1996 और 2012 में नियमों में ढील दी गई थी। हालांकि, सरकार ने आज सभी छूट वापस ले ली और अधिकारियों पर उनके संबंधित अधिकार क्षेत्र में संपत्ति खरीदने पर रोक लगा दी।
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