हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने मंगलवार को कहा कि विकसित भारत की परिकल्पना केवल आर्थिक विकास तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें समावेशी विकास, सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता और मजबूत मानवीय मूल्यों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
नई दिल्ली में आईआईएलएम विश्वविद्यालय में भारतीय आर्थिक संघ के 108वें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि ‘भारत का परिप्रेक्ष्य: विकसित भारत 2047’ विषय पर आयोजित यह सम्मेलन नीतियों पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है और राष्ट्र निर्माण में योगदान देता है।
भारत की मजबूत आर्थिक प्रगति पर प्रकाश डालते हुए शुक्ला ने कहा कि देश सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। उन्होंने कहा कि यह विकास डिजिटल सार्वजनिक प्रणालियों, नवाचार, स्टार्टअप और बुनियादी ढांचे के विस्तार से समर्थित है।
उन्होंने कहा कि विकसित भारत 2047 केवल आर्थिक आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रत्येक नागरिक के लिए गरिमा, समान अवसर और संतुलित विकास सुनिश्चित करने से संबंधित है। उन्होंने अर्थशास्त्रियों से विचारों को सरकारी नीतियों और समाज की आवश्यकताओं से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का भी आग्रह किया।

