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अतुलनीय एएमयू : सात छात्रों से शुरुआत, आज दुनिया के बेस्ट यूनिवर्सिटी में शुमार

Incomparable AMU: Started with seven students, today ranked among the best universities in the world

नई दिल्ली, 8 सितंबर । भारत के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में शामिल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए आज का दिन बेहद खास है। 9 सितंबर 1920 को अलीगढ़ का एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज ‘अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय’ में तब्दील कर दिया गया।

इस संस्थान की स्थापना की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। इस प्रतिष्ठित संस्थान ने समय गुजरने के साथ कई बदलाव भी देखे। इसके बावजूद अपनी बुलंद बुनियाद के आसरे आगे बढ़ता जा रहा है। महान समाज सुधारक सर सैयद अहमद खान ने मुसलमानों को आधुनिक शिक्षा देने के मकसद से 1877 में मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की थी। यही आगे चलकर 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) बना।

इस विश्वविद्यालय की स्थापना का कनेक्शन 1857 की क्रांति से है। इस क्रांति ने सर सैयद अहमद खान पर गहरा असर डाला था। उनके परिवार के लोग भी अंग्रेजों के अत्याचारों के शिकार हुए थे। सर सैयद अहमद खान ने फैसला किया कि वह आधुनिक शिक्षा को हथियार के रूप में अपनाएंगे और अंग्रेजों को करारा जवाब देकर ही दम लेंगे। उन्होंने आधुनिक शिक्षा की बारीकियों को जानने के लिए इंग्लैंड का रुख किया और 1870 में वहां पहुंचे।

उन्होंने ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज जैसे विश्व विख्यात संस्थानों का दौरा किया और वहां की शिक्षा व्यवस्था को करीब से समझने की कोशिश की। उन्होंने यह भी पता लगाया कि आखिर आधुनिक शिक्षा किस तरह से भारतीय बच्चों को बेहतर तरीके और कम खर्च पर मुहैया कराई जा सकती है। उनकी मेहनत रंग लाई और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना साकार होती दिखी।हालांकि, विश्वविद्यालय से पहले सर सैयद ने मदरसा शुरू किया।

इंग्लैंड में आधुनिक शिक्षा से जुड़ी जानकारियां जुटाकर सर सैयद अहमद वापस आए। इसके बाद सिर्फ सात छात्रों के साथ मदरसे की स्थापना की और उन्हें पढ़ाना शुरू कर दिया। इस मदरसे की लोकप्रियता धीरे-धीरे फैलने लगी और बच्चों की संख्या भी बढ़ने लगी। साल 1877 में एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की शुरुआत की गई। यही कॉलेज 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना, जो दुनियाभर में एक प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में जाना जाता है।

एएमयू के पूर्व पीआरओ डॉ. राहत अबरार ने बताया, “शिक्षाविद् और समाज सुधारक सर सैयद अहमद खान आधुनिक शिक्षा की जरूरत को समझते थे। उन्होंने अलीगढ़ में साल 1875 में ‘मदर सतुल उलूम’ नाम से एक स्कूल शुरू किया था। यही स्कूल आगे चलकर साल 1877 में मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज हो गया। साल 1920 में भारतीय संसद ने मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में बदल दिया।”

उन्होंने आगे बताया, “भारतीय संविधान ने अनुच्छेद-7 के अंतर्गत एएमयू को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है। यहां के छात्र लगभग सौ देशों में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। एएमयू के दो पूर्व छात्र डॉ. जाकिर हुसैन और खान अब्दुल गफ्फार खान को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। वर्तमान समय में एएमयू के सौ से अधिक पूर्व छात्रों को देश-विदेश में कुलपति बनाया जा चुका है। एएमयू एक आवासीय संस्थान है। यहां 110 से अधिक विभाग हैं। विश्वविद्यालय की खासियत है कि यहां प्री-प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा एक ही जगह पर प्राप्त होती है। एएमयू ने केरल, पश्चिम बंगाल और बिहार में तीन सेंटर भी स्थापित किए हैं।”

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