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भारत ने 100 गीगावाट सौर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता की हासिल, पीएम मोदी ने बताया मील का पत्थर

India achieves 100 GW solar PV module manufacturing capacity, PM Modi calls it a milestone

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की स्वच्छ ऊर्जा यात्रा में एक और बड़ी उपलब्धि की घोषणा की। देश ने 100 गीगावाट सौर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता हासिल कर ली है। इसकी जानकारी प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया के जरिए दी।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के पोस्ट को री-पोस्ट करते हुए लिखा, “यह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और मील का पत्थर है। यह भारत की विनिर्माण क्षमताओं की सफलता और स्वच्छ ऊर्जा को लोकप्रिय बनाने के हमारे प्रयासों को दर्शाता है।”

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जताई और इसे भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

उन्होंने लिखा, “भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। स्वीकृत मॉडल और निर्माता सूची (एएलएमएम) के तहत 100 गीगावाट सौर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता, जो 2014 में केवल 2.3 गीगावाट थी।”

उन्होंने आगे कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और उच्च दक्षता वाले सौर मॉड्यूल के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसी परिवर्तनकारी पहलों के दम पर हम एक मजबूत, आत्मनिर्भर सौर विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहे हैं। यह उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत और 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता के लक्ष्य की दिशा में हमारी राह को और मजबूत करती है।”

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, भारत ने 2014 में मात्र 2.3 गीगावाट की सौर विनिर्माण क्षमता से शुरुआत की थी, जो 2025 में 100 गीगावाट तक पहुंच गई है। यह उपलब्धि भारत के मजबूत विनिर्माण क्षेत्र और स्वच्छ ऊर्जा के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता भारत को सौर पीवी विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनाना और देश को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में एक प्रमुख देश के रूप में स्थापित करना है। इन हस्तक्षेपों के उत्प्रेरक प्रभाव के परिणामस्वरूप सौर मॉड्यूल निर्माण क्षमता में विस्तार हुआ है, जो साल 2014 में मात्र 2.3 गीगावाट से बढ़कर आज 100 गीगावाट से अधिक हो गई है। यह साल 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है और वैश्विक डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों में सार्थक योगदान देता है।

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