नई दिल्ली, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकियों के ठिकाने को ध्वस्त किया था। इसी बीच पाकिस्तान डोजियर ने भारत के हमले में हुए नुकसान को लेकर बड़ा कबूलनामा किया है।
पाकिस्तान के ऑपरेशन ‘बुनयान उन मार्सोस’ पर आधिकारिक डोजियर में बताया गया है कि भारत ने कम से कम आठ अतिरिक्त ठिकानों पर हवाई हमला किया है। जिनका खुलासा भारत की तरफ से पहले नहीं किया गया था।
पाकिस्तानी डोजियर के सैटेलाइट इमेज में पेशावर, झंग, सिंध में हैदराबाद, पंजाब में गुजरात, गुजरांवाला, बहावलनगर, अटक और छोर जैसे प्रमुख शहर है, जिसमें तबाही का जिक्र किया गया है। आपको बता दें कि भारतीय वायु सेना या सैन्य संचालन महानिदेशक ने अपनी प्रेस ब्रीफिंग में पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने की सार्वजनिक रूप से जानकारी दी थी।
यह डोजियर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के द्वारा पाकिस्तान को हुए नुकसान को लेकर बड़ी जानकारी देता है और इसे पाकिस्तान की ओर से सीजफायर के लिए तत्काल आह्वान के पीछे एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा जा रहा है।
22 अप्रैल को पहलगाम में आंतकियों ने 26 पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। जिसके बाद भारतीय सेना ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया था। जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए थे।
इसके बाद 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय सेना, वायुसेना और विदेश मंत्रालय ने संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग की थी, जिसमें विदेश सचिव विक्रम मिस्री, वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह और भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी शामिल हुईं थी। सैन्य अधिकारियों ने आतंकी ठिकानों पर किए गए हमले की क्लिप भी दिखाई थी।
इसमें बताया गया था पाकिस्तान और पीओके में नौ (9) ठिकानों को निशाना बनाया गया था, जिसमें आतंकवादी स्थल मरकज सुभान अल्लाह बहावलपुर, मरकज तैयबा, मुरीदके, सरजाल/तेहरा कलां, महमूना जोया सुविधा, सियालकोट, मरकज अहले हदीस बरनाला, भिम्बर, मरकज अब्बास, कोटली, मस्कर राहील शाहिद, कोटली जिले में स्थित हैं। इसके अलावा मुजफ्फराबाद में शावई नाला कैम्प, मरकज सैयदना बिलाल शामिल था।
इस पूरे ऑपरेशन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ रात भर बारीकी से नजर रखी थी। सूत्रों ने पुष्टि की कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सैन्य कमांडरों के साथ लगातार संपर्क में थे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अभियान योजना के अनुसार आगे बढ़े।
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