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डीबीटी योजनाओं से भारत ने पिछले 8 वर्षों में 40 अरब डॉलर चोरी होने से बचाए : केंद्रीय वित्त मंत्री

India saved $40 billion from theft in last 8 years through DBT schemes: Union Finance Minister

वाशिंगटन, 25 अक्टूबर । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार, सरकार की प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजनाओं से भारत ने पिछले आठ वर्षों में 40 अरब डॉलर की राशि चोरी होने से बचाई है।

इस सप्ताह अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन बिजनेस स्कूल में वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के 51 से अधिक मंत्रालय और विभाग अब अलग-अलग डीबीटी योजनाओं का उपयोग कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि इस सरकारी योजना के माध्यम से पिछले आठ वर्षों में अब तक कुल मिलाकर 450 अरब डॉलर से अधिक धनराशि ट्रांसफर की जा चुकी है।

उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा, “वित्त मंत्री के रूप में मुझे चोरी को रोकना होगा। मुझे यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक करदाता का रुपया सही तरीके से खर्च हो, उसका सही हिसाब-किताब हो। मैं चोरी को हावी नहीं होने देना चाहती।”

आधार-लिंक्ड डीबीटी के जरिए अलग-अलग कल्याणकारी योजनाओं से नकद लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है। इस सुविधा के साथ दस्तावेजों की जरूरत खत्म हो जाती है और फर्जी लाभार्थियों जैसी परेशानी भी नहीं आती।

दुनिया की सबसे बड़ी डीबीटी योजना, पीएम-किसान स्कीम के साथ 3.04 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा राशि देश भर के 11 करोड़ से ज्यादा किसानों को पहले ही वितरित की जा चुकी है। पीएम किसान की 18वीं किस्त के साथ लाभार्थियों को हस्तांतरित कुल राशि 3.24 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गई है।

यह पहल दुनिया की सबसे बड़ी डीबीटी योजनाओं में से एक है, जो पारदर्शी नामांकन और किसानों को कल्याणकारी निधियों के हस्तांतरण के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का लाभ उठाती है।

पीएम-किसान योजना ने साहूकारों पर निर्भरता समाप्त कर दी है तथा टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया है। बिचौलियों को समाप्त कर, यह योजना सुनिश्चित करती है कि सभी किसानों तक समान सहायता पहुंचे।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) वित्तीय समावेशन को और बढ़ावा देती है, जिसके तहत 523 मिलियन से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं, तथा हाशिए पर पड़े वर्गों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाया गया है।

सरकार के अनुसार, आधार-संचालित इस दृष्टिकोण ने न केवल लोगों को सशक्त बनाया है, बल्कि सरकारी योजनाओं में करोड़ों फर्जी, गैर-मौजूद और अयोग्य लाभार्थियों को हटाकर देश के खजाने में भी बड़ी बचत की है।

उदाहरण के लिए, आधार-संचालित डीबीटी के कारण 4.15 करोड़ से अधिक फर्जी एलपीजी कनेक्शन और 5.03 करोड़ डुप्लिकेट राशन कार्ड समाप्त हो गए हैं, जिससे रसोई गैस और खाद्य सब्सिडी जैसी आवश्यक सेवाओं का वितरण सुचारू हो गया है।

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