May 24, 2025
National

इंडिया स्टील 2025: भारतीय इस्पात क्षेत्र में संभावनाओं और चुनौतियों का पता लगाएगा तीन दिवसीय कार्यक्रम

India Steel 2025: Three-day event to explore opportunities and challenges in Indian steel sector

इस्पात मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि तीन दिवसीय कार्यक्रम ‘इंडिया स्टील 2025’ में विभिन्न हितधारकों को भारतीय इस्पात क्षेत्र में मौजूद संभावनाओं, चुनौतियों और अवसरों का पता लगाने के लिए एक मंच पर लाया गया है। यह कार्यक्रम मुंबई में 24 – 26 अप्रैल तक आयोजित किया गया है।

उद्घाटन सत्र को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को एक वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित किया, जिसमें उन्होंने घरेलू इस्पात उत्पादन को बढ़ाने, कार्बन उत्सर्जन को कम करने और ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए भारत की रणनीतिक दृष्टि पर जोर दिया।

मंत्रालय के अनुसार, दिन के दौरान कई महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किए गए।

‘विकसित भारत: भारतीय अर्थव्यवस्था में इस्पात क्षेत्र की भूमिका’ पर सत्र में वरिष्ठ नीति निर्माताओं, अर्थशास्त्रियों और उद्योग जगत के नेताओं के एक उच्च स्तरीय पैनल ने भारत की 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को साकार करने में इस्पात की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की।

‘सीईओ राउंड टेबल’ की अध्यक्षता इस्पात और भारी उद्योग मंत्रालय के राज्य मंत्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा ने की, जिसमें भारतीय इस्पात क्षेत्र के लिए मौजूदा चुनौतियों और विकास पर चर्चा की गई।

‘इंडिया-रूस राउंडटेबल’ दोनों देशों के प्रमुख हितधारकों के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव के लिए एक रणनीतिक मंच रहा।

यह चर्चा, इस्पात और खनन क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने, संयुक्त उद्यमों को बढ़ावा देने और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और व्यापार सुविधा के लिए नए रास्ते तलाशने पर केंद्रित थी।

‘इंडिया स्टील 2025’ के दूसरे दिन वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल; शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान; रेलवे और इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव; नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रहलाद जोशी और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की उपस्थिति रही।

पहले दिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “शून्य आयात” के लक्ष्य की आवश्यकता और इस्पात क्षेत्र के लिए शुद्ध निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया।

भारत वर्तमान में 25 मिलियन टन इस्पात निर्यात करने और वर्ष 2047 तक उत्पादन क्षमता को 500 मिलियन टन तक बढ़ाने के लक्ष्य की दिशा में काम कर रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस्पात क्षेत्र को नई प्रक्रियाओं, ग्रेड और स्केल के लिए तैयार करने के महत्व पर जोर दिया और उद्योग से भविष्य के लिए तैयार मानसिकता के साथ विस्तार और अपग्रेड करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, “हमें गर्व है कि आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक बन गया है। हमने राष्ट्रीय इस्पात नीति के तहत 2030 तक 300 मिलियन टन इस्पात उत्पादन का लक्ष्य रखा है।”

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